मुक्तक:
संजीव
*
सलिल से सलिल कब जुदा रह सका है
सलिल से जुदा कब खुदा रह सका है
मिले खुद से खुद जब भी तन्हाइयों में
नहीं मौन तब नाखुदा रह सका है
***
संजीव
*
सलिल से सलिल कब जुदा रह सका है
सलिल से जुदा कब खुदा रह सका है
मिले खुद से खुद जब भी तन्हाइयों में
नहीं मौन तब नाखुदा रह सका है
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