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शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

geet: guru poonam par

गीत:
गुरु पूनम पर
*
गुरु पूनम पर शत-शत वंदन
गुरुजन! अर्पित श्रृद्धा-चंदन.....
*
तुतलाना-चलना सिखलाया,
गिर-उठ-बढ़ना पाठ पढ़ाया।
बारहखड़ी सिखाई दिन-दिन
गिनती जोड़-घटाना आया।
पौआ अद्धा पौना; मात्रा
तुकबंदी करना मन भाया।
विविध विषय थे कई किताबें
पढ़ने ने हर स्वप्न भुलाया।
भाषण, कविता, नाटक-मंचन
गुरुजन! अर्पित श्रृद्धा-चंदन.....
*
कोमल पद - ध्रुव पद स्काउट,
ए. सी. सी. ने गले लगाया।
एन.सी.सी. के अनुशासन ने
मुश्किल जय करना सिखलाया।
बदले चेहरे नाम संस्था
सबने आगे सदा बढ़ाया।
अभियांत्रिकी अर्थ दर्शन विधि
हर पुस्तक में खुद को पाया।
निश-दिन पठन मनन नव चिंतन
गुरुजन! अर्पित श्रृद्धा-चंदन.....
*
'लेना-देना रखो बराबर'
जितना संभव है अपनाया।
जो जब आया पूछ-सीखने
जितना बना तुरत बतलाया।
पढ़ने और पढ़ाने का क्रम
नहीं एक दिन भी बिसराया।
गुरु-आशीष, शिष्य-श्रृद्धा ने
जीवन सार्थक-धन्य बनाया।
सत-शिव-सुंदर पल-पल मंथन
गुरुजन! अर्पित श्रृद्धा-चंदन.....
*
भव से पाया, भव को देकर
जा पाऊँ त्यों जैसे आया।
कोई कभी नहीं कह पाए
जो आता था, नहीं बताया।
शक्ति-भक्ति-अनुरक्ति मिले प्रभु!
हिंदी रचना कोष बढ़ाया।
जननी भारत हिंदी माता
गौ रेवा का जस हँस गाया।
काव्य-छंदमय जीवन-गुंजन
गुरुजन! अर्पित श्रृद्धा-चंदन.....
*
उसमें मैंने खुद को देखा 
जिसने मुझमें निज गुरु पाया। 
कभी न चाहा दे मुझको कुछ 
ले वह सब कुछ, जो मन भाया। 
गैर न कोई भी शिक्षार्थी 
जो भी आया, गले लगाया। 
क्षमा करें गुरु-प्रभु भी मुझको
अधिक न और सीख-सिखलाया। 
फिर-फिर मिलें पञ्च माताएँ 
करूँ छंद रच भव-भय-भंजन 
गुरुजन! अर्पित श्रृद्धा-चंदन.....
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गुरु पूर्णिमा २०१८  

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