कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

doha salila

दोहा सलिला 
गरज-गरज कर जा रहे, बिन बरसे घन श्याम
शशि-मुख राधा मानकर, लिपटे क्या घनश्याम
*
गुरु गुरुता पर्याय हो, खूब रहे सारल्य
दृढ़ता में गिरिवत रहे, सलिला सा तारल्य
*
गुरु गरिमा हो हिमगिरी, शंका का कर अंत
गुरु महिमा मंदाकिनी, शिष्य नहा हो संत
*
सद्गुरु ओशो ज्ञान दें, बुद्धि प्रदीपा ज्योत
रवि-शंकर खद्योत को, कर दें हँस प्रद्योत
*
गुरु-छाया से हो सके, ताप तिमिर का दूर.
शंका मिट विश्वास हो, दिव्या-चक्षु युत सूर.
*

कोई टिप्पणी नहीं: