कुल पेज दृश्य

शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

हरिगीतिका: --संजीव 'सलिल'

हरिगीतिका:
--संजीव 'सलिल'
*
उत्सव सुहाने आ गये हैं, प्यार सबको बाँटिये.
भूलों को जाएँ भूल, नाहक दण्ड दे मत डाँटिये..
सबसे गले मिल स्नेह का, संसार सुगढ़ बनाइये.
नेकी किये चल 'सलिल', नेकी दूसरों से पाइये..
*
हिल-मिल मनायें पर्व सारे, बाँटकर सुख-दुःख सभी.
ऐसा लगे उतरे धरा पर, स्वर्ग लेकर सुर अभी.
सुर स्नेह के छेड़ें, सुना सरगम 'सलिल' सद्भाव की.
रच भावमय हरिगीतिका, कर बात नहीं अभाव की..
*
दिल से मिले दिल तो बजे त्यौहार की शहनाइयाँ.
अरमान हर दिल में लगे लेने विहँस अँगड़ाइयाँ..
सरहज मिले, साली मिले या सँग हों भौजाइयाँ.
संयम-नियम से हँसें-बोलें, हो नहीं रुस्वाइयाँ..
*
कस ले कसौटी पर 'सलिल', खुद आप अपने काव्य को.
देखे परीक्षाकर, परखकर, गलतियां संभाव्य को..
एक्जामिनेशन, टेस्टिंग या जाँच भी कर ले कभी.
कविता रहे कविता, यहे एही इम्तिहां लेना अभी..
*
अनुरोध है हम यह न भूलें एकता में शक्ति है.
है इल्तिजा सबसे कहें सर्वोच्च भारत-भक्ति है..
इसरार है कर साधना हों अजित यह ही युक्ति है.
रिक्वेस्ट है इतनी कि भारत-भक्ति में ही मुक्ति है..
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com


3 टिप्‍पणियां:

(swamee shree ji ) swamee shree param chetana nand ji ✆ ने कहा…

आचार्य जी नमस्कार -
बहुत ही प्रेरक और सुन्दर रचना है|
निवेदन यह है की, भारत भक्ति के लिए, हिन्दी की शब्दावली का शत-प्रतिशत उपयोग किया जे तो कैसा रहेगा ?
- स्वामी परम चेतनानन्द

sanjiv 'salil' ने कहा…

आपकी गुण-ग्राहकता को नमन.
यह रचना एक समस्यापूर्ति हेतु है जिसमें 'उत्सव', 'कसौटी' तथा 'अनुरोध' और इनके पर्यायवाची शब्दों को लेकर हरिगीतिका छंद में रचना की जाना थी.
हिंदी को विश्व भाषा बनने के लिये अन्य भाषाओँ से असंख्य शब्द लेकर आत्मसात करना होगा.

ana : ने कहा…

ana :

aapki harigitika chhand ne man moh liye....lajwab lekhani