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मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

दोहा गीत: मातृ ज्योति-दीपक पिता, - संजीव 'सलिल'


दोहा गीत:
मातृ ज्योति-दीपक पिता,
- संजीव 'सलिल'
*

 










*

विजय विषमता तिमिर पर,
कर दे- साम्य हुलास..
मातृ ज्योति- दीपक पिता,
शाश्वत चाह उजास....

*
जिसने कालिख-तम पिया,
वह काली माँ धन्य.
नव प्रकाश लाईं प्रखर,
दुर्गा देवी अनन्य.
भर अभाव को भाव से,
लक्ष्मी हुईं प्रणम्य.
ताल-नाद, स्वर-सुर सधे,
शारद कृपा सुरम्य.

वाक् भारती माँ, भरें
जीवन में उल्लास.
मातृ ज्योति- दीपक पिता,
शाश्वत चाह उजास...

*

सुख-समृद्धि की कामना,
सबका है अधिकार.
अंतर से अंतर मिटा,
ख़त्म करो तकरार.
जीवन-जगत न हो महज-
क्रय-विक्रय व्यापार.
सत-शिव-सुन्दर को करें
सब मिलकर स्वीकार.

विषम घटे, सम बढ़ सके,
हो प्रयास- सायास.
मातृ ज्योति- दीपक पिता,
शाश्वत चाह उजास....

**************
= दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
--
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

3 टिप्‍पणियां:

vijay2@comcast.net ने कहा…

२५ अक्तूबर २०११ १२:०२ पूर्वाह्न
आ० संजीव जी,

आपके दोहे पढ़ कर बहुत आनन्द आया ।

विजय विषमता तिमिर पर,
कर दे- साम्य हुलास..
मातृ ज्योति- दीपक पिता,
शाश्वत चाह उजास....

बधाई हो ।

विजय निकोर

santosh bhauwala ने कहा…

२५ अक्तूबर २०११ १:०४ पूर्वाह्न

आदरणीय आचार्य जी ,
अति सारगर्भित दोहे!!!
नमन !!!
सादर
संतोष भाऊवाला

sn Sharma ने कहा…

२५ अक्तूबर २०११ २:२३ पूर्वाह्न
आ० आचार्य जी,
मंगल कामना और भावभरे सन्देश वाले दोहा गीतों के लिये नमन |
कमल