जातक रामायण में रामकथा :
राम के संदेह - " नहीं जानता रावण इसको ले भागा कैसे.
कौन कहे यह नहीं गयी थी साथ,
जानकर? इसके कहने से भागा था मैं
पीछे मारीच के, और बाद में भेज दिया
इसने लक्ष्मण को, वापस आ कर देखा
हम ने: नहीं पता था कहीं किसी का,
कौन कहे वह छल था रावण का,
या दोंनों का? "
लंका पर आक्रमण - रामचन्द्र जी कहते हैं -
" ... लेकिन था कब मैं ने
मारा रावण को सीता की खातिर?
था मेरा, मेरे पौरुष का अपमान, हरण
सीता का- लेना ही था अपना बदला,
मनवाना था अपना पौरुष, और आर्य
गणों का फैलाना था दस्यु देश पर,
सीता का था नाम, बहाना सीता
का था......"
राम के ढोंग- कविता की विवादास्पद पंक्तियाँ यों हैं-
" ..... सीता को
वनवास दिला ऊँ, और न्याय का ढोंग रचाऊँ
कितने ढोंग, रचे जीवन में, एक और से
क्या बिगड़ेगा? सीता का था नाम चढा
जब मैं लंका पर, था किया कौन सा न्याय,
किया जब मैं ने छल से वध बालि का?
और विभीषण को फुसला कर जब रावण
का भेद निकाला- वही कौन सा न्याय राम का?
तो आज बहाना धोबी का लूं, ऊंची
ऊंची बात बनाऊं, प्रजा धर्म का, रामराज का
नया नमूना करूँ उपस्थित, भला इसी में
है अब मेरा, मेरी मर्यादा, का सीता का. "
अँधेरे से प्रकाश की ओर - रामायण के संदर्भ पढ़ें और
इन विद्वानों से प्रश्न करके सत्य की खोज करें |
१. रामायण की कथा " दशरथ जातक"
२. "रामकथा: उदभव और विकास" - डॉ. कामिल बुल्के
( राजकीय महाविधालय, रांची के हिंदी विभागाध्यक्ष )
३. "उत्तर पुराण"- रामायण का प्राचीन रूप
( गुणभद्रकृत, तृतीय संस्करण )
४. "वाल्मीकि रामायण" - उत्तरकांड सर्ग-४२, श्लोक १८-२२
५. "तुलसी रामायण" छंद २३०-२३१
६. "हिन्दी साहित्य का इतिहास" - आचार्य राम चन्द्र शुक्ल
( श्री रामायण भजन तरंगिणी से )
७. "ए स्टडी ऑफ़ दा रामायण ऑफ़ कंबन"
(तमिल विद्वान स्व.वी.वी. एस अय्यर द्वारा- कंबन रामायण)
८. "रामायण" श्री सी. राजगोपालाचारी
( भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित )
९. " हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास"
( डॉ. रामकुमार वर्मा )
१०. "तुलसीदास" पुस्तक डॉ. माता प्रसाद गुप्त द्वारा
तुलसीदास कला, प्रष्ठ.२७७, संस्करण पहला १९४२,
( इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष)
११. "कथा सरितसागर" तिब्बती रामायण
१२. "किरत्तिवास रामायण" बँगला रामायण
१३. "नर्मदकृत" गुजराती रामायण
१४. "सेरीराम" मलाया रामायण
१५. " कश्मीरी रामायण"
१६. "सेरतकांड" जावा रामायण |
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