कुल पेज दृश्य

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

यम द्वितीय चित्रगुप्त पूजन पर विशेष भेंट: भजन: प्रभु हैं तेरे पास में... -- संजीव 'सलिल'

यम द्वितीय चित्रगुप्त पूजन पर विशेष भेंट:
भजन:
प्रभु हैं तेरे पास में...
-- संजीव 'सलिल'
*
कहाँ खोजता मूरख प्राणी?, प्रभु हैं तेरे पास में...
*
तन तो धोता रोज न करता, मन को क्यों तू साफ रे!
जो तेरा अपराधी है, उसको करदे हँस माफ़ रे..
प्रभु को देख दोस्त-दुश्मन में, तम में और प्रकाश में.
कहाँ खोजता मूरख प्राणी?, प्रभु हैं तेरे पास में...
*
चित्र-गुप्त प्रभु सदा चित्त में, गुप्त झलक नित देख ले.
आँख मूंदकर कर्मों की गति, मन-दर्पण में लेख ले..
आया तो जाने से पहले, प्रभु को सुमिर प्रवास में.
कहाँ खोजता मूरख प्राणी?, प्रभु हैं तेरे पास में...
*
मंदिर-मस्जिद, काशी-काबा मिथ्या माया-जाल है.
वह घट-घट कण-कणवासी है, बीज फूल-फल डाल है..
हर्ष-दर्द उसका प्रसाद, कडुवाहट-मधुर मिठास में.
कहाँ खोजता मूरख प्राणी?, प्रभु हैं तेरे पास में...
*
भजन:
प्रभु हैं तेरे पास में...                                                                           
संजीव 'सलिल'
*
जग असार सार हरि सुमिरन ,
डूब भजन में ओ नादां मन...
*
निराकार काया में स्थित, हो कायस्थ कहाते हैं.
रख नाना आकार दिखाते, झलक तुरत छिप जाते हैं..
प्रभु दर्शन बिन मन हो उन्मन,
प्रभु दर्शन कर परम शांत मन.
जग असार सार हरि सुमिरन ,
डूब भजन में ओ नादां मन...
*
कोई न अपना सभी पराये, कोई न गैर सभी अपने हैं.
धूप-छाँव, जागरण-निद्रा, दिवस-निशा प्रभु के नपने हैं..
पंचतत्व प्रभु माटी-कंचन,
कर मद-मोह-गर्व का भंजन.
जग असार सार हरि सुमिरन ,
डूब भजन में ओ नादां मन...
*
नभ पर्वत भू सलिल लहर प्रभु, पवन अग्नि रवि शशि तारे हैं.
कोई न प्रभु का, हर जन प्रभु का, जो आये द्वारे तारे हैं.. 
नेह नर्मदा में कर मज्जन,
प्रभु-अर्पण करदे निज जीवन.
जग असार सार हरि सुमिरन ,
डूब भजन में ओ नादां मन...
*

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

7 टिप्‍पणियां:

Mukesh Srivastava ✆ ने कहा…

mukku41@yahoo.com
आदरणीय सलिल जी ,
यम द्वितीया पे यह विशेष भेट के लिए बधाई.
ये रचना भी आपकी विद्वता और कवित्त्व से लबरेज़ है.
जो हमें निरंतर कुछ न कुछ सिखाती रहती हैं,

सादर
मुकेश इलाहाबादी

sangeeta swaroop 'geet' ने कहा…

संगीता स्वरुप 'गीत' ✆

दोनों भजन बहुत अच्छे लगे

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ✆ smhabib.1408@gmail.com

बहुत सुन्दर भजन हैं सर....
दीप पर्व की सपरिवार सादर बधाईयां....

vandana ✆ rosered8flower@gmail.com ने कहा…

वन्दना ✆ rosered8flower@gmail.com

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से अवगत कराइयेगा ।

http://tetalaa.blogspot.com/

sn Sharma ने कहा…

२३ अक्तूबर २०११ ९:१७ अपराह्न

आ० आचार्य जी,
किन शब्दों में सराहूँ दोनों ही भजन गेय हैं
आपकी विद्वता और काव्य-कौशल अजेय हैं
मुग्ध हो गया सस्वर पढ़ कर |
लेखनी को नमन
प्रभु चित्रगुप्त को इस विशेष अवसर पर प्रणाम |
सादर
कमल

संगीता पुरी ने कहा…

२४ अक्तूबर २०११ ६:३२ पूर्वाह्न

बहुत अच्‍छे भजन हैं ..
.. आपको दीवाली की शुभकामनाएं !!

- chetnarajput.rana@yahoo.com ने कहा…

आ. संजीव जी,
यम द्वितीय चित्रगुप्त पूजन पर विशेष भेंट पसंद आई। विशेष रूप से निम्न पँक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं-
मंदिर-मस्जिद, काशी-काबा मिथ्या मायाजाल है
वह घट-घट, कण-कणवासी है, बीज, फूल-फल डाल है,
हर्ष-दर्द उसका प्रसाद, कड़ुवाहट-मधुक-मिठास में,
कहाँ खोजता मूरख प्राणी? प्रभु हैं तेरे पास में...
दीपावली के शुभ पर्व पर आपको हार्दिक बधाई..
चेतना