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शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

बाल गीत: सोन चिरैया ---संजीव वर्मा 'सलिल'

बाल गीत: 

सोन चिरैया ---

संजीव वर्मा 'सलिल'

*

सोनचिरैया फुर-फुर-फुर,      
उड़ती फिरती इधर-उधर.      
थकती नहीं, नहीं रूकती.     
रहे भागती दिन-दिन भर.    

रोज सवेरे उड़ जाती.         
दाने चुनकर ले आती.        
गर्मी-वर्षा-ठण्ड सहे,          
लेकिन हरदम मुस्काती.    

बच्चों के सँग गाती है,      
तनिक नहीं पछताती है.    
तिनका-तिनका जोड़ रही,  
घर को स्वर्ग बनाती है.     

बबलू भाग रहा पीछे,       
पकडूँ  जो आए नीचे.       
घात लगाये है बिल्ली,      
सजग मगर आँखें मीचे.   

सोन चिरैया खेल रही.
धूप-छाँव हँस झेल रही.
पार करे उड़कर नदिया,
नाव न लेकिन ठेल रही.

डाल-डाल पर झूल रही,
मन ही मन में फूल रही.
लड़ती नहीं किसी से यह,
खूब खेलती धूल रही. 

गाना गाती है अक्सर,
जब भी पाती है अवसर.
'सलिल'-धार में नहा रही,
सोनचिरैया फुर-फुर-फुर. 

* * * * * * * * * * * * * *                                                              
= यह बालगीत सामान्य से अधिक लम्बा है. ४-४ पंक्तियों के ७ पद हैं. हर पंक्ति में १४ मात्राएँ हैं. हर पद में पहली, दूसरी तथा चौथी पंक्ति की तुक मिल रही है.
चिप्पियाँ / labels : सोन चिरैया, सोहन चिड़िया, तिलोर, हुकना, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', great indian bustard, son chiraiya, sohan chidiya, hukna, tilor, indian birds, acharya sanjiv 'salil' 

6 टिप्‍पणियां:

Dr.M.C. Gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ekavita ने कहा…

सलिल जी,

बहुत सुंदर बाल गीत है. बच्चों के लिए और लिखें. आनन्द की अनुभूति होती है.

मुझसे भी एक बन गया देखा-देखी:


३५५४. चिड़िया आती जाती है: बाल-गीत



चिड़िया आती जाती है

इक तिनका रख जाती है

नन्हा नीड़ सजाती है

सबका जिया लुभाती है

- drdeepti25@yahoo.co.in ने कहा…

मनभावन, सलोनी सी कविता !...
बधाई !
सादर,
दीप्ति

- pratapsingh1971@gmail.com ने कहा…

आदरणीय आचार्य जी

मोहक!

सादर

- ksantosh_45@yahoo.co.in ने कहा…

आ० सलिल जी
बच्चों के मन को छू जाने वाली सुन्दर बाल कविता।
आपको ढेर सारी बधाइयाँ।
सन्तोष कुमार सिंह

achal verma ✆ ने कहा…

एक अति रोचक मीठा बाल गीत |

अचल वर्मा

dks poet ✆ ekavita ने कहा…

आदरणीय सलिल जी,
सुंदर लगा बाल गीत
बधाई स्वीकारें
सादर

धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’