लघुकथा:
निर्माण
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जनप्रतिनिधि महोदय के ३-४ सन्देश मिले तो कोई काम न होते हुए भी मिलना आवश्यक प्रतीत हुआ।
निर्माण
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जनप्रतिनिधि महोदय के ३-४ सन्देश मिले तो कोई काम न होते हुए भी मिलना आवश्यक प्रतीत हुआ।
कहिये क्या चल रहा है? कार्यों की प्रगति कैसी है? पूछा गया। जिलाध्यक्ष कार्यालय में बैठक में जानकारी दी थी मैंने बताया। महोदय ने कहा आपके संभाग में इतनी योजनाओं के लिए इतने करोड़ रुपये स्वीकृत कराये हैं, आपको समझना चाहिए, मिलना चाहिए। मेरे समर्थन के बिना कोई मेरे क्षेत्र में नहीं रह सकता। मेरे कारण ही आपको कोई तकलीफ नहीं हुई जबकि लोग कितनी शिकायतें करते हैं।
मैंने धन्यवाद दे निवेदन किया कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता देखना मेरा कार्य है, इससे जुडी कोई शिकायत हो तो बतायें अथवा मेरे साथ भ्रमण कर स्वयं कार्य देख लें। विभाग के सर्वोच्च अधिकारी तथा जाँच अधिकारी कार्यों की प्रगति तथा गुणवत्ता से संतुष्ट हैं। केंद्र और राज्य की योजनाओं में उपलब्ध राशि के लिए सर्वाधिक प्रस्ताव भेजे और स्वीकृत कराये गये हैं, कार्यालय में किसी ठेकेदार की कोई निविदा या देयक लंबित नहीं है। पारिवारिक स्थितियों के कारण मैं कार्यालय संलग्न रहना चाहता हूँ।
काम तो आपका ठीक है। भोपाल में भी आपके काम की तारीफ सुनी है पर हम लोगों का भी आपको ध्यान रखना चाहिए, वे बोले।
मैंने निवेदन किया कि आपका सहयोग इसी तरह कर सकता हूँ कि कार्य उत्तम और समय पर हों, शासन की छवि उज्जवल हो तो चुनाव के समय प्रतिनिधि को ही लाभ होगा।
वह तो जब होगा तब होगा, कौन जानता है कि टिकिट किसे मिलेगा? आप तो बताएं कि अभी क्या मदद कर सकते हैं?
मेरे यह कहते ही कि समय पर अच्छे से अच्छा निर्माण ही मेरी ऒर से मदद है, बोले मेरे बच्चे तो नहीं जायेंगे कभी सरकारी स्कूल-कॉलेज में फिर क्या लाभ मुझे ऐसे निर्माण से? आपको हटाना ही पड़ेगा।
मैं अभिवादन कर चला आया।
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