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बुधवार, 2 दिसंबर 2015

laghukatha

लघु कथा:
खरीददार
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अखबार में प्रायः पढ़ता हूँ अमुक चौराहे पर कामचोरी का अभिनन्दन हुआ, रिश्वतखोरी का सम्मान समारोह है, जुगाड़ू साहित्यकार को पुरस्कृत किया गया आदि.
देखा एक कोने में मेहनत,ईमानदारी और लगन मुँह लटकाये बैठे थे. मैंने हालचाल पूछा तो समवेत स्वर में बोले आज फिर भूखा रहना होगा कोई नहीं है हमारा खरीददार।
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