एक रचना :
लोग कहेंगे क्या?
*
लोग कहेंगे क्या?
नहीं, इसकी कुछ परवाह
*
जो निचला
उसको गलत
कहते ऊपर बैठ
आम आदमी की
रहे रोक
न्याय में पैठ
जिसने मारा
मुक्त वह
झुठला दिये प्रमाण
आरोपी को हितु बन
दे संकट से त्राण
डरिये!
ढहा न दे महल
लग गरीब की आह
*
दोष-
शयन फुटपाथ पर
दण्ड
कुचल दे कार
मदहोशी में
हो तुरत
चालक छली फरार
साक्ष्य सभी
झूठे मगर
सच्चा है इंकार
अँधा तौले
न्याय, है
दस दिश हाहाकार
आम आदमी
विवश है
मौज मनाते शाह
***
लोग कहेंगे क्या?
*
लोग कहेंगे क्या?
नहीं, इसकी कुछ परवाह
*
जो निचला
उसको गलत
कहते ऊपर बैठ
आम आदमी की
रहे रोक
न्याय में पैठ
जिसने मारा
मुक्त वह
झुठला दिये प्रमाण
आरोपी को हितु बन
दे संकट से त्राण
डरिये!
ढहा न दे महल
लग गरीब की आह
*
दोष-
शयन फुटपाथ पर
दण्ड
कुचल दे कार
मदहोशी में
हो तुरत
चालक छली फरार
साक्ष्य सभी
झूठे मगर
सच्चा है इंकार
अँधा तौले
न्याय, है
दस दिश हाहाकार
आम आदमी
विवश है
मौज मनाते शाह
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