चन्द माहिया : क़िस्त 23
:1:
रिश्तों की तिजारत में
ढूँढ रहे हो क्या
नौ फ़स्ल-ए-रवायत में
:2:
कुछ ख़ास नहीं बदला
छोड़ गई जब से
अब तक हूँ नहीं सँभला
:3:
ये ख़ून बहा किसका
मैं क्या जानू रे !
कुर्सी से रहा चिपका
:4:
अच्छा न बुरा जाना
दिल ने कहा जो भी
बस वो ही सही माना
:5:
वो आग लगाते है
अपना भी ईमां
हम आग बुझाते हैं
-आनन्द.पाठक-
09413395592
:1:
रिश्तों की तिजारत में
ढूँढ रहे हो क्या
नौ फ़स्ल-ए-रवायत में
:2:
कुछ ख़ास नहीं बदला
छोड़ गई जब से
अब तक हूँ नहीं सँभला
:3:
ये ख़ून बहा किसका
मैं क्या जानू रे !
कुर्सी से रहा चिपका
:4:
अच्छा न बुरा जाना
दिल ने कहा जो भी
बस वो ही सही माना
:5:
वो आग लगाते है
अपना भी ईमां
हम आग बुझाते हैं
-आनन्द.पाठक-
09413395592
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया, बधाई। कृपया, फेस बुक पर अलंकार सलिला में अलंकारों पर लेख देखें। अलंकारों के उदाहरण में माहिए जोड़ना चाहता हूँ. लिखकर भेज सकेंगे क्या?
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