:1:
टूटा जो खिलौना है
ये तो होना था
किस बात का रोना है
:2:
नाशाद है खिल कर भी
प्यासी है नदिया
सागर से मिल कर भी
:3:
कुछ दर्द दबा रखना
आँसू हैं मोती
पलको में छुपा रखना
:4:
इतना तो बता देते
क्या थी ख़ता मेरी
फिर चाहे सजा देते
:5:
बस हाथ मिलाते हो
आसाँ है ,लेकिन
रिश्ता न निभाते हो
-आनन्द.पाठक-
09413395592
1 टिप्पणी:
उत्तम माहिया रचने में आपकी माहिरी है. बधाई।
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