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शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

muktika

मुक्तिका:
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मापनी: २१ २२२ १ २२२ १ २२
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दर्द की चाही दवा, दुत्कार पाई
प्यार को बेचो, बड़ा बाजार भाई
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वायदों की मण्डियाँ, हैं ढेर सारी
बचाओ गर्दन, इसी में है भलाई
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आ गया, सेवा करेगा बोलता है
चाहता सारी उड़ा ले वो मलाई
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चोर का ईमान, डाकू है सिपाही
डॉक्टर लूटे नहीं, कोई सुनाई
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कौन है बोलो सगा?, कोई नहीं है
दे रहा नेता दगा, बोले भलाई
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