कुछ लोकरंग- 
देवी को अर्पण
- प्रतिभा सक्सेना.
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मइया पधारी मोरे अँगना,
मलिनिया फूल लै के आवा,
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ऊँचे पहारन से उतरी हैं मैया,
छायो उजास जइस चढ़त जुन्हैया.
रचि-रचि के आँवा पकाये ,
 कुम्हरिया ,दीप लै के आवा.
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सुन के पुकार मइया मैया जाँचन को आई  ,
खड़ी दुआरे ,खोल कुंडी रे माई !
वो तो आय हिरदै में झाँके ,
घरनिया प्रीत लै के आवा ,
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दीपक  कुम्हरिया ,फुलवा  मलिनिया   ,
चुनरी जुलाहिन की,भोजन किसनिया.
मैं तो  पर घर आई - 
दुल्हनियाँ के मन पछतावा.
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 उज्जर हिया में समाय रही जोती .
रेती की  करकन से  ,निपजे रे   मोती.
काहे का सोच बावरिया,
मगन मन-सीप लै के आवा !
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1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर देवी महिमा गीत
जय माता दी
नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएं!
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