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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

चित्र पर कविता:

चित्र पर कविता








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हाथों में प्याला रखता हूँ

दिल हिम्मतवाला रखता हूँ.
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हिंदी सा उजला तन लिखें

इंग्लिश-मन काला रखता हूँ.
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माटी हो, माटी को घुरूँ

माटी में हाला रखता हूँ.
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छप्पन इंची सीने के सँग

दिल-दिमाग आला रखता हूँ
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अलगू-जुम्मन को फुसलाने

क्यों बोलूँ खाला रखता हूँ.
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दिखे मंच पर सिर्फ सचाई

पीछे घोटाला रखता हूँ
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नफरत की पैनी नोकों पर

'सलिल' स्नेह-छाला रखता हूँ
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सत्ता की मधुशाला में भी

जनमत गौशाला रखता हूँ.
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