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गुरुवार, 8 अक्तूबर 2015

alankar

अलंकार सलिला-

जन मन रंजन :

निम्न चित्रपटीय गीतों में अलंकार बताइए :

१. कहीं दूर जब दिन ढल जाए, साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आये
    मेरे ख्यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाये, नज़र न आये       - आनंद
    *
२. दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा
    ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा
    *
३. चाँद सी मेहबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था?
     हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था 
     *
४. चाँद सा रौशन चेहरा, ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा 
     ये झील सी नीली आँखें, कोई राज है जिनमें गहरा
     *
५. चंदन सा वदन, चंचल चितवन, धीरे से तेरा ये मुस्काना 
     मुझे दोष न देना जगवालों, हो जाऊँ अगर मैं दीवाना  
     ये काम-कमान भँवें तेरी, पलकों के किनारे कजरारे 
     माथे पर सिन्दूरी सूरज, होंठों पे दहकते अंगारे 
     साया भी जो तेरा पड़ जाए, आबाद हो दिल का वीराना 
    * 
 

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