अलंकार सलिला-
जन मन रंजन :
निम्न चित्रपटीय गीतों में अलंकार बताइए :
१. कहीं दूर जब दिन ढल जाए, साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाये, नज़र न आये - आनंद
*
२. दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा
*
३. चाँद सी मेहबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था?
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था
*
४. चाँद सा रौशन चेहरा, ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली आँखें, कोई राज है जिनमें गहरा
*
जन मन रंजन :
निम्न चित्रपटीय गीतों में अलंकार बताइए :
१. कहीं दूर जब दिन ढल जाए, साँझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आये
मेरे ख्यालों के आँगन में कोई सपनों के दीप जलाये, नज़र न आये - आनंद
*
२. दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा
*
३. चाँद सी मेहबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था?
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था
*
४. चाँद सा रौशन चेहरा, ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा
ये झील सी नीली आँखें, कोई राज है जिनमें गहरा
*
५. चंदन सा वदन, चंचल चितवन, धीरे से तेरा ये मुस्काना
मुझे दोष न देना जगवालों, हो जाऊँ अगर मैं दीवाना
ये काम-कमान भँवें तेरी, पलकों के किनारे कजरारे
माथे पर सिन्दूरी सूरज, होंठों पे दहकते अंगारे
साया भी जो तेरा पड़ जाए, आबाद हो दिल का वीराना
*
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