कुल पेज दृश्य

सोमवार, 17 मई 2021

डॉ. कोटनीश

महामानव डॉ. कोटनीश
*
चीन सरकार ने भारतीय मूल के डॉ. कोटनीश की स्मृति में मूर्ति लगाई है।
भारत और चीन के रिश्तों से तो हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन शायद ही आपको मालूम हो कि भारत के एक डॉक्टर को चीन में बड़े आदर और सम्मान के साथ आज भी याद किया जाता है। उनके सम्मान में मूर्ति लगाई गई, चीन की किताबों में उनकी कहानी पढ़ने को मिलती हैं। भारत में उनके जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी है। 1982 में जब भारत और चीन एक दूसरे पर चढ़ाई के लिए तैयार थे तब इस भारतीय डॉक्टर के सम्मान में चीन सरकार ने डाक टिकट जारी किया। महाराष्ट्र के सोलापुर में 1910 में जन्मे डॉ. कोटनीश उस भारतीय डॉक्टरों के दल में शामिल थे, जो शिनो-जापान युद्ध के दौरान चीन गए थे। इस युद्ध में कोटनीश के योगदान को चीन आज भी भूल नहीं पाया है। 
कौन थे डॉक्टर कोटनीश
इनका पूरा नाम द्वारका नाथ सांताराम कोटनीश था। वह 1938 में युद्ध के दौरान चीन गए भारतीय चिकित्सा दल के सदस्य थे। उन्होंने आगे बढ़कर काम किया और मरते दम तक चीनी सैनिकों का इलाज किया। 9 दिसंबर 1942 को 32 साल की उम्र में डॉ. कोटनीश का निधन हो गया। चीन में उनकी समाधि आज भी मौजूद है।
चीन की किताबों में मिलती है कहानी
डॉ. कोटनीश ही अकेले विदेशी थे, जिन्होंने युद्द के दौरान घायल चीनी सैनिकों का इलाज किया। उनकी कहानी चीन की किताबों में आज भी पढ़ी जाती है। उनके सम्मान में चीन सरकार ने एक मेडिकल स्कूल खोला है। भारत में कोटनीश की पहचान वी सांताराम की फिल्म 'डॉ. कोटनीश की अमर कहानी से लोगों के सामने आई।
चाइनीज नर्स से की थी शादी। 
युद्ध के दौरान सैनिकों का इलाज करते हुए उन्हें चाइनीज नर्स गाओ किंग्लन से प्यार हो गया। इसके बाद 1941 में कोटनीश ने गाओ से शादी कर ली। उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम यिनहुआ था। मेडिकल स्टूडेंट यिनहुआ की 24 साल की उम्र में मौत हो गई थी।
भारत दौरे पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने डॉ. कोटनीश की बहन मनोरमा को सम्मानित किया था।
मुंबई में रहती हैं कोटनीश की बहन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत दौरे के वक्त कोटनीश की बहन मनोरमा को सम्मानित किया था। मनोरमा सांताराम (92) आज भी मुंबई में रहती हैं। चीन के प्रधानमंत्री ली किकियांग भी जब भारत दौरे पर आए तो डॉ. कोटनीश को याद किया और मनोरमा से मिलने उनके घर गए थे।
भारत में बन चुकी है फिल्म
1946 में फिल्मकार वी. सांताराम ने कोटनीश की जिंदगी पर एक बायोपिक बनाई, फिल्म का नाम था 'डॉ. कोटनीश की अमर कहानियां', जिसमें उनकी पत्नी गाओ किंग्लन के साथ रोमांस और चीन-जापान युद्द के दौरान उनकी भूमिका को दिखाया गया। हालांकि उनके फैमली मेंबर्स का मानना है कि फिल्म के कई सीन्स में मनोरंजन के लिए काल्पनिक कहानी गढ़ी गई है।
चीन सरकार ने डॉ. कोटनीश की याद में उनकी समाधि बनाई है।


कोई टिप्पणी नहीं: