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सोमवार, 24 मई 2021

मुक्तक

मुक्तक
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भारती की आरती, सूरज उतारे धन्य हो.
मंजु भारत भूमि से, ज्यादा न ज्यादा अन्य हो..
पा विजय कर जोड़ सीताराम बोलें हो अचल.
हर्ष-दुःख दोनों में होते 'सलिल' के नयना सजल..
२४-५-२०१२ 

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