कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

घनाक्षरी

घनाक्षरी सलिला  
आठ-आठ-आठ-सात, पर यति रखकर,
मनहर घनाक्षरी, छंद कवि रचिए।
लघु-गुरु रखकर, चरण के आखिर में,
'सलिल'-प्रवाह-गति, वेग भी परखिए।।
अश्व-पदचाप सम, मेघ-जलधार सम,
गति अवरोध न हो, यह भी निरखिए।
करतल ध्वनि कर, प्रमुदित श्रोतागण-
'एक बार और' कहें, सुनिए-हरषिए।।
*

कोई टिप्पणी नहीं: