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सोमवार, 26 नवंबर 2018

rakeshk handelwa lshabdanjali

राकेश खंडेलवाल के प्रति शब्दांजलि 
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सलिल-धार लहरों में बिंबित, 'हर नर्मदे' ध्वनित राकेश
शीश झुकाते शब्द्-ब्रम्ह, आराधक सादर कह गीतेश
जहाँ रहें घन श्याम वहाँ, रसवर्षण होता सदा अनूप
कमल कुसुम सज शब्द-शीश, गुंजित करता है प्रणव अरूप
गौतम-राम अहिंसा-हिंसा, भव में भरते आप महेश
मानोशी शार्दुला नीरजा, किरण दीप्ति चारुत्व अशेष
ममता समता श्री प्रकाश पा, मुदित सुरेंद्र हुए अमिताभ
प्रतिभा को कर नमन हुई है, कविता-कविता अब अजिताभ
सीता-राम सदा करते संतोष, मंजु महिमा अद्भुत
व्योम पूर्णिमा शशि लेखे, अनुराग सहित होकर विस्मित
ललित खलिश हृद पीर माधुरी, राहुल मन परितृप्त करे
कांत-कामिनी काव्य भामिनि, हर भव-बाधा सुप्त करे
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२६.११.२०१४ 

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