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शनिवार, 3 नवंबर 2018

दोहा दिवाली

दोहा दिवाली 
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मृदा नीर श्रम कुशलता, स्वेद गढ़े आकार।
बाती डूबे स्नेह में, ज्योति हरे अँधियार।। 
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तम से मत कर नेह तू, झटपट जाए लील। 
पवन झँकोरों से न डर, जल बनकर कंदील।। 
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संसद में बम फूटते, चलें सभा में बाण। 
इंटरव्यू में फुलझड़ी, सत्ता में हैं प्राण।। 
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पति तज गणपति सँग पुजें, लछमी से पढ़ पाठ। 
बाँह-चाह में दो रखे, नारी के हैं ठाठ।।
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रिद्धि-सिद्धि, हरि की सुने, कोई न जग में पीर। 
छोड़ गए साथी धरें, कैसे कहिए धीर।। 
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संजीव, ३.११.२०१८ 
९४२५१८३२४४

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