कुल पेज दृश्य

बुधवार, 14 नवंबर 2018

वस्तुवदनक छंद


छंद सलिला:   ​​​

वस्तुवदनक छंद ​

संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, पदांत चौकल-द्विकल

लक्षण छंद:
   वस्तुवदनक कला चौबिस चुनकर रचते कवि
   पदांत चौकल-द्विकल हो तो शांत हो मन-छवि      
उदाहरण:

१.  प्राची पर लाली झलकी, कोयल कूकी / पनघट / पर 
    रविदर्शन कर उड़े परिंदे, चहक-चहक/कर नभ / पर
    कलकल-कलकल उतर नर्मदा, शिव-मस्तक / से भू/पर 
   पाप-शाप से मुक्त कर रही, हर्षित ऋषि / मुनि सुर / नर      
 
२. मोदक लाईं मैया, पानी सुत / के मुख / में 
    आया- बोला: 'भूखा हूँ, मैया! सचमुच में'
    ''खाना खाया अभी, अभी भूखा कैसे?
    मुझे ज्ञात है पेटू, राज छिपा मोदक में''
  
३. 'तुम रोओगे कंधे पर रखकर सिर?  
    सोचो सुत धृतराष्ट्र!, गिरेंगे सुत-सिर कटकर''
    बात पितामह की न सुनी, खोया हर अवसर
    फिर भी दोष भाग्य को दे, अंधा रो-रोकर                    *********

कोई टिप्पणी नहीं: