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रविवार, 10 अक्तूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : ३ अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ३ ---------संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : ३
 
संजीव 'सलिल'
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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, अंग.- अंग्रेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अ से आरम्भ होनेवाले शब्द: ३ 
अकरी - स्त्री., हल में लगा हुआ चोंगा (फनल) जिसमें भरकर बाई करते समय खेत में बीज गिराया जाता है., एक विशेष पौधा.
अकरुण - वि., सं., करुणा रहित, निष्करुण, निष्ठुर.
अकर्कश - वि. सं., कर्कशतारहित, नरम, मृदु.
अकर्णक - वि., सं., कर्णहीन, भावार्थ बधिर, बहरा.
अकर्न्य - वि., सं., जो कानों के योग्य न हो, अश्रवणीय.
अकर्तन - वि., सं., नहीं काटना, बोना.
अकर्तव्य - वि., सं., न करने योग्य, अविहित, अनुचित. पु. अनुचित कर्म.
अकर्ता/ अकर्तृ  - वि., सं., जो कर्ता न हो, कर्म न करनेवाला, कर्म से अलिप्त पुरुष, अकर्मा, ईश्वर, परमब्रम्ह.
अकर्तक - वि., सं., जिसका कोई कर्ता न हो.
अकर्तृत्व - पु., सं., कर्तृत्व/कर्तापन के अभिमान का अभाव.
अकर्म - पु., सं., कर्म का अभाव, निष्क्रियता, कर्तव्य/कर्म न करना, बुरा काम. -भोग - पु., कर्मफल के भोग से मुक्ति. -शील - वि., सुस्त, आलसी, कामचोर.
अकर्मक - वि., सं., वह क्रिया जिसके लिये कर्म की अपेक्षा न हो (व्या.). पु. परमात्मा..
अकर्मण्य - वि., सं., कर्म के अयोग्य, निकम्मा, आलसी, न  कर्म न करने योग्य.
अकर्मा/अकर्मन - वि., सं., कर्मरहित, जो कुछ न कर्ता हो, निकम्मा, बेकाम, संस्कार आदि का अनधिकारी.
अकर्मान्वित - वि., सं., अपराधी, दुष्कर्मयुक्त, निठल्ला, बेकार.   
अकर्मी / अकर्मिन - वि., सं., दुष्कर्म करनेवाला, दुष्कर्मी, पापी.
अकर्षण - पु., सं., कर्षण या खिंचाव न होना, आकर्षण = खिंचाव.
अकलंक - वि., सं., कलंकरहित, निर्दोष, बेदाग़,
अकलंकता - स्त्री., सं., दोषहीनता, निर्दोषिता.
अकलंकित - वि., सं., निर्दोष, शुद्ध, बेदाग़.
अकल - वि., सं., अवयवरहित, यंत्रहीन, अखण्ड, अंशरहित, निराकार, कलाहीन, गुणहीन, स्त्री. अकल, -दाढ़- स्त्री., युवा होने पर उगनेवाली दाढ़, अक्ल का दाँत.
अकलखुरा - वि., अकेला खानेवाला, स्वार्थी, ईर्ष्यालु, जो मिलनसार न हो.
अकलवर / अकलवीर - पु., पौधा जिसकी जड़ रेशम पर रंग चढ़ाने के काम आती है.
अकलुष - वि. सं., स्वच्छ, मलहीन, निर्दोष, साफ़, गन्दगीरहित. -इस्पात- पु., क्रोमियम आदि धातुएं मिलाकर तैयार किया गया इस्पात जिसमें मोर्चा/जंग नहीं लगता, स्टेनलैस स्टील.
अकल्क - वि., सं., बिना तलछट का, निर्मल, शुद्ध, निष्पाप, स्वच्छ.
अकल्कक, अकल्कन, अकल्कल -  वि., सं., विनम्र, दंभरहित, घमंडहीन, निरहंकार, ईमानदार.
अकल्कता - स्त्री., सं., ईमानदारी, शुद्धता.
अकल्का - स्त्री., सं., चाँदनी, ज्योत्सना.
अकल्प - वि., सं., अनियंत्रित, नियम न माननेवाला, दुर्बल, अक्षम, अतुलनीय.
अकल्पनीय - वि. ,सं., जिसकी कल्पना न की जा सके, अप्रामाणिक, असंभावित.
अकल्पित -वि., सं., कल्पनारहित, अकाल्पनिक, अकृत्रिम, प्राकृतिक, प्रामाणिक, संभावित.
अकल्मष - वि., सं., बेदाग़, निर्दोष, शुद्ध.
अकल्य - वि., सं., अस्वस्थ, सत्य.
अकल्याण - पु., सं., अमंगल, अहित. वि. अशुभ.
अकव / अकवा  - वि., सं., अवर्णनीय, जो तुच्छ या कृपण न हो. रघुराजसिंह कृत राम स्वयंवर.
अकवच - वि., सं., कवचरहित, जिसके बदन पर बख्तर न हो.
अकवन - पु., अर्क / आक का पेड़.
अकवाम - स्त्री., अ., उ., कौम का बहुवचन.
अकविता - स्त्री., कविता के पूर्व प्रचलित उपादानों को नकारकर आगे बढ़नेवाली काव्य-प्रवृत्ति.
अकशेरुकी - पु. इनवर्टिब्रेट, मेरुदंड / रीढ़ विहीन प्राणी, जैसे: प्रोटोजोआ, घोंघा, अपृष्ठवंशी.
अकस - पु., द्वेष, ईर्ष्या, बराबरी, छाया, प्रतिबिम्ब.
अकस - अ., अकस्मात्. -पृथ्वीराज रासो.
अकसना - अक्रि., बराबरी करना, समसरी करना, समानता करना, बैर करना, झगड़ना, लड़ना, स्पर्धा करना.
अकसर - वि., अ., बहुत अधिक, अत्यधिक. अधिकतर, बहुधा. वि. अकेला, अकेले, बिना किसी को साथ लिये, एकाकी. कवण हेतु मन व्यग्र अति, अकसर आयेहु तात.-राम.        
अकसी - अकस / द्वेष रखनेवाला, बैरी, शत्रु, दुश्मन.
अकसीर - स्त्री., अ., कीमिया, दवा जिससे सस्ती धातु से सोना बनाया जा सके, रोग विशेष की अचूक / अति गुणकरी औषधि. वि, अचूक, अव्यर्थ. -गर- कीमियाबनानेवाला, कीमियागर, -की बूटी- सोना-चाँदी बनाने की बूटी.   
अकस्मात् - अ., सं., सहसा, अचानक, एकाएक, हठात, संयोगवश, आकारण, बिना कारण, दर्शन का एक पारिभाषिक शब्द जो तांत्रिक साधना में विशिष्ट अर्थ रखता है.
अकह - वि., अवर्णनीय, न कहने योग्य, अकहनीय, अकथनीय, अनुचित.
अकहानी - स्त्री., यूरोप में प्रचलित 'एंटी स्टोरी' का हिन्दी रूप जो यह मानता है कि कहनी के परंपरागत तत्वों को नकारकर ही कहानी खुद को आधुनिक बना सकती है.
अकहुवा / अकहुआ  - वि., दे., अकथनीय, जिसका वर्णन न हो सके.

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