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शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

हिंदी शब्द सलिला : ९ अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द : ९ --- संजीव 'सलिल'

हिंदी शब्द सलिला : ९   संजीव 'सलिल'

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संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा  बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा,  यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदस-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.     

अ से प्रारंभ होनेवाले शब्द :

संजीव 'सलिल'
अक्ल - स्त्री. अ. बुद्धि, समझ,-मंद- चतुर, बुद्धिमान, होशियार उ., -की दुम- मूर्ख व्यंग, -मंदी- स्त्री. चतुराई, बुद्धिमानी, -क्ले-इंसानी- स्त्री. मानव बुद्धि उ., -कुल- पु. सर्वाधिक बुद्दिमान सलाहकार जिसकी सलाह बिना कोई काम न किया जाए उ., -हैवानी- स्त्री. पशुबुद्धि उ., मु. -आना- समझ होना, -औंधी होना- नासमझी करना, -का कसूर- बुद्धि का दोष, समझ की कमी, -का काम न करना- कुछ समझ में न आना, -का चकराना / का चक्कर में आना- चकित / भ्रमित होना, हैरान होना उ., -चरने जाना- समझ न रहना, -का चिराग गुल होना- समझ समाप्त होना, -का दुश्मन- नासमझ, मूर्ख. -का पुतला- बहुत बुद्धिमान, -का पूरा- मूर्ख, बुद्धू व्यंग, -का फतूर- बुद्धि की कमी, -का मारा- मूर्ख, -की पुड़िया- स्त्री. बुद्धिमती, -के घोड़े दौड़ाना- कल्पना करना, अनुमान लगाना, -के तोते उड़ जाना- होश ठिकाने न रहना, -के नाखून लेना- समझकर बात करना,  -के पीछे लट्ठ लिये फिरना- नासमझी के काम करना, -के बखिये उधेड़ना, - बुद्धि नष्ट करना, -खर्च करना- सोचना-समझना, -गुम होना- समझ न रहना, -चकराना- चकित होना, -जाती रहना- समझ न रहना, -ठिकाने आना- होश में आना, समझ का होना, -देना- समझाना, सिखाना,  
-दौड़ाना, भिड़ना, लड़ना- मन लगाकर सोचना, गौर करना, -पर पत्थर पड़ना / पर पर्दा पड़ना- समझ न रहना, -मारी जाना- हतबुद्धि रहना, -सठियाना- बुद्धि नष्ट होना, -से दूर / बहार होना- समझ में न आना.
अक्लम - पु. सं. क्लान्तिहीनता, वि. न थकनेवाला.
अक्लांत- वि. जो थका न हो, क्लान्तिरहित.
अक्लिका- स्त्री. सं. नील का पौधा.
अक्लिन्न- वि. सं. जो आर्द्र या गीला न हो, सूखा. -वर्त्म / वर्त्मन- पु. नेत्र-रोग जिसमें पलकें चिपकती हैं.
अक्लिष्ट- वि. सं. क्लेशरहित, अक्लान्न, जो शांत न हो, अनुद्विग्न, जो क्लिष्ट न हो, सरल, -कर्मा / कर्मन- वि. जो काम करने से थके नहीं.
अक्ली- बुद्धिसंबंधी, अक्ल में आनेवाली बात, बुद्धिकृत. वि. बुद्धिमान. मु. -गद्दा लगाना- अटकलबाजी करना.  
अक्लेद- पु. सं. सूखापन, रुक्षता.
अक्लेद्य- वि. सं. जो भिगाया या गीला न किया जा सके.
अक्लेश - पु. सं. क्लेशहीनता. वि. क्लेशरहित.
अक्षंतव्य- वि. सं. अक्षम्य.

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