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शनिवार, 13 जून 2020

जनक छंद / त्रिपदियाँ

जनक छंद / त्रिपदियाँ  
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ब्यूटी पार्लर में गयी
वृद्धा बाहर निकलकर
युवा रूपसी लग रही..
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नश्वर है यह देह रे!
बता रहे जो भक्त को
रीझे भक्तिन-देह पे..
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संत न करते परिश्रम
भोग लगाते रात-दिन
सर्वाधिक वे ही अधम..
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गिद्ध भोज बारात में
टूटो भूखें की तरह
अब न मान-मनुहार है..
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पितृ-देहरी छीन गयी
विदा होटलों से हुईं
हाय! हमारी बेटियाँ..
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करते कन्या-दान जो
पाते हैं वर-दान वे
दे दहेज़ वर-पिता को..
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१३-६-२०१० 

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