कुल पेज दृश्य

सोमवार, 8 नवंबर 2021

कार्यशाला, मुक्तक, हाइकु,

कार्यशाला- ७-११-१६
आज का विषय- पथ का चुनाव
अपनी प्रस्तुति टिप्पणी में दें।
किसी भी विधा में रचना प्रस्तुत कर सकते हैं।
रचना की विधा तथा रचना नियमों का उल्लेख करें।
समुचित प्रतिक्रिया शालीनता तथा सन्दर्भ सहित दें।
रचना पर प्राप्त सम्मतियों को सहिष्णुता तथा समादर सहित लें।
किसी अन्य की रचना हो तो रचनाकार का नाम, तथा अन्य संदर्भ दें।
*
हाइकु
सहज नहीं
है 'पथ का चुनाव'
​विकल्प कई.
*
झिलमिलायीं
दीपकों की कतारें
खिलखिलायीं.
*
सूरज ढला
तिमिर को मिटाने
दीपक जला.
*
ओबामा बम
नेताओं की घोषणा
दोनों बेकाम.
*
मना दिवाली
हो गयी जेब खाली
आगे कंगाली.
*
देव सोये हैं
जागेंगे ग्यारस को
पूजा कैसे की?.
*
न हो उदास
दीप से बोली बाती
करो प्रयास.
*
दीपों ने घेरा
हारा, भागा अँधेरा
हुआ सवेरा..
*
भू पर आये
सूरज के वंशज
दीपक बन.
*
महल छोड़
कुटियों में जलते
चराग हँसते.
*
फुलझड़ियाँ
आशाओं की लड़ियाँ
जगमगायीं.
*
रह अचला
तो स्वागत, वर्ना जा
लक्ष्मी चंचला.
*
किसी की सगी
लक्ष्मी नहीं रही
फिर भी पुजी.
*
है उपहार
ध्वनि-धुआँ प्रदूषण
मना त्यौहार.
*
हुए निसार
खुद पर खुद ही
हम बेकार.
*
लिया उधार
खूब मना त्यौहार
अब बेज़ार.
(जापानी त्रिपदिक वार्णिक छंद, ध्वनि ५-७-५)
*
मुक्तक
पथ का चुनाव आप करें देख-भालकर
सारे अभाव मौन सहें, लोभ टालकर
​पालें लगाव तो न तजें, शूल देखकर
भुलाइये 'सलिल' को न संबंध पालकर ​
​(२२ मात्रिक चतुष्पदिक मुक्तक छंद, टुकनर गुरु-लघु, पदांत गुरु-लघु-लघु-लघु) ​
*

कोई टिप्पणी नहीं: