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रविवार, 7 नवंबर 2021

 मुक्तक

'समझ लेंगे' मिली धमकी बताओ क्या करें हम?
समर्पण में कुशल है, रहेंगे संबंध कायम
कहो सबला या कि अबला, बला टलती नहीं है
'सलिल' चाहत बिना राहत कभी मिलती नहीं है
*
परिंदों ने किया कलरव सुन तुम्हारी हँसी निर्मल
निर्झरों की तरंगों ने की नकल तो हुई कलकल
ज़िन्दगी हँसती रहे कर बंदगी चाहा खुदा से
मिटेगा दुःख का प्रदूषण रहो हँसते 'सलिल' पल-पल
***
७-११-२०१६
शोध परक लेख :
अग्र सदा रहता सुखी
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*​
अग्र सदा रहता सुखी, अगड़ा कहते लोग
पृष्ठ रहे पिछड़ा 'सलिल', सदा मनाता सोग
सब दिन जात न एक समान
मानव संस्कृति का इतिहास अगड़ों और पिछड़ों की संघर्ष कथा है. बाधा और संकट हर मनुष्य के जीवन में आते हैं, जो जूझकर आगे बढ़ गया वह 'अगड़ा' हुआ. इसके विपरीत जो हिम्मत हारकर पीछे रह गया 'पिछड़ा' हुआ. वर्तमान राजनीति में अगड़ों और पिछड़ों को एक दूसरे का विरोधी बताया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. वास्तव में वे एक दूसरे के पूरक हैं. आज का 'अगड़ा' कल 'पिछड़ा' और आज का 'पिछड़ा' कल 'अगड़ा' हो सकता है. इसीलिए कहते हैं- 'सब दिन जात न एक समान'.
मन के हारे हार है
जो मनुष्य भाग्य भरोसे बैठा रहता है उसे वह नहीं मिलता जिसका वह पात्र है. संस्कृत का एक श्लोक है-
उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथै:
नहि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:
.
उद्यम से ही कार्य सिद्ध हो, नहीं मनोरथ है पर्याप्त
सोते सिंह के मुख न घुसे मृग, सत्य वचन यह मानें आप्त
लोक में दोहा प्रचलित है-
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
अग्रधारा लक्ष्य पाती
जो मन से नहीं हारते और निरंतर प्रयासरत होकर आगे आते हैं या नेतृत्व करते हैं वे ही समाज की अग्रधारा में कहे जाते हैं. हममें से हर एक को अग्रधारा में सम्मिलित होने का प्रयास करते रहना चाहिए. किसी धारा में असंख्य लहरें, लहर में असंख्य बिंदु और बिंदु में असंख्य परमाणु होते हैं. यहाँ सब अपने-अपने प्रयास और पुरुषार्थ से अपना स्थान बनाते हैं, कोई किसी का स्थान नहीं छीनता न किसी को अपना स्थान देता है. इसलिए न तो किसी से द्वेष करें न किसी के अहसान के तले दबकर स्वाभिमान गँवायें.
अग्रधारा लक्ष्य पाती, पराजित होती नहीं
कौन आगे कौन पीछे, देख ​पथ खोती नहीं
​बहुउपयोगी अग्र है
जो आगे रहेगा वह पीछे वालों का पथ-प्रदर्शक या मार्गदर्शक अपने आप बन जाता है. उसके संघर्ष, पराक्रम, उपलब्धि, जीवट, और अनुकरण अन्यों के लिए प्रेरक बन जाते हैं. इस तरह वह चाहे-अनचाहे, जाने-अनजाने अन्यों के साथ और अन्य उसके साथ जुड़ जाते हैं.
बहुउपयोगी अग्र है, अन्य सदा दें साथ
बढ़ा उसे खुद भी बढ़ें, रखकर ऊँचा माथ
अग्र साथ दे सभी का
आगे जाने के लिए आवश्यक यह है कि पीछे वालों को साथ लिया जाय तथा उनका साथ दिया जाय. कुशल नायक 'काम करो' नहीं कहता, वह 'आइये, काम करें' कहकर सबको साथ लेकर चलता और मंजिल वरता है.
अग्र साथ दे सभी का, रखे सभी को संग
वरण सफलता का करें, सभी जमे तब रंग
अन्य स्थानों की तरह शब्दकोष में भी अग्रधारा अग्र-स्थान ग्रहण करती है. ​आइये अग्र और अग्र के साथियों से मिलें-
​​अग्र- वि. सं. अगला, पहला, मुख्य, अधिक. अ. आगे. पु. अगला भाग, नोक, शिखर, अपने वर्ग का सबसे अच्छा पदार्थ, बढ़-चढ़कर होना, उत्कर्ष, लक्ष्य आरंभ, एक तौल, आहार की के मात्रा, समूह, नायक.
अग्रकर-पु. हाथ का अगला हिस्सा, उँगली, पहली किरण
​अग्रग- पु. नेता, नायक, मुखिया.
अग्रगण्य-वि. गिनते समय प्रथम, मुख्य, पहला.
अग्रगामी/मिन-वि. आगे चलनेवाला. पु. नायक, अगुआ, स्त्री. अग्रगामिनी
​अग्रदल-पु. फॉरवर्ड ब्लोक भारत का एक राजनैतिक दल जिसकी स्थापना नेताजी सुभाषचन्द्र बोसने की थी, सेना की अगली टुकड़ी अग्र ज-वि. पहले जन्मा हुआ, श्रेष्ठ. पु. बड़ा भाई, ब्राम्हण, अगुआ.
​अग्रजन्मा/जन्मन-पु. बड़ा भाई, ब्राम्हण.
अग्र जा-स्त्री. पहले पैदा हुई, बड़ी बहिन.
अग्र जात/ जातक -पु. पहले जन्मा, पूर्व जन्म का.
​अग्रजाति-स्त्री. ब्राम्हण.
अग्रजिव्हा-स्त्री. जीभ का अगला हिस्सा.
अग्रणी-वि. आगे चलनेवाला, प्रथम, श्रेष्ठ, उत्तम. पु. नेता, अगुआ, एक अग्नि.
अग्रतर-वि. और आगे का, कहे हुए के बाद का, फरदर इ.
अग्रदाय-अग्रिम देय, पहले दिया जानेवाला, बयाना, एडवांस, इम्प्रेस्ट मनी.-दानी/निन- पु. मृतकके निमित्त दिया पदार्थ/शूद्रका दान ग्रहण करनेवाला निम्न/पतित ब्राम्हण,-दूत- पु. पहले से पहुँचकर किसी के आने की सूचना देनेवाला.-निरूपण- पु. भविष्य-कथन, भविष्यवाणी, भावी. -सुनहु भरत भावी प्रबल. राम.,
अग्रपर्णी/परनी-स्त्री. अजलोमा का वृक्ष.
अग्रपा- सबसे पहले पाने/पीनेवाला.-पाद- पाँव का अगला भाग, अँगूठा.
अग्रपूजा- स्त्री. सबसे पहले/सर्वाधिक पूजा/सम्मान.
अग्रपूज्य- वि. सबसे पहले/सर्वाधिक सम्मान.
अग्रप्रेषण-पु. देखें अग्रसारण.
अग्रप्रेषित-वि. पहले से भेजना, उच्चाधिकारी की ओर आगे भेजना, फॉरवर्डेड इ.-बीज- पु. वह वृक्ष जिसकी कलम/डाल काटकर लगाई जाए. वि. इस प्रकार जमनेवाला पौधा.
अग्रभाग-पु. प्रथम/श्रेष्ठ/सर्वाधिक/अगला भाग -अग्र भाग कौसल्याहि दीन्हा. राम., सिरा, नोक, श्राद्ध में पहले दी जानेवाली वस्तु.
अग्रभागी/गिन-वि. प्रथम भाग/सर्व प्रथम पाने का अधिकारी.
अग्रभुक/ज-वि. पहले खानेवाला, देव-पिटर आदि को खिलाये बिना खानेवाला, पेटू.
अग्रभू/भूमि-स्त्री. लक्ष्य, माकन का सबसे ऊपर का भाग, छत.
अग्रमहिषी-स्त्री. पटरानी, सबसे बड़ी पत्नि/महिला.-मांस-पु. हृदय/यकृत का एक रोग.
अग्रयान-पु. सेना की अगली टुकड़ी, शत्रु से लड़ने हेतु पहले जानेवाला सैन्यदल. वि. अग्रगामी. ​अग्रयायी/यिन वि. आगे बढ़नेवाला, नेतृत्व करनेवाला ​अग्रयोधी/धिन-पु. सबसे आगे बढ़कर लड़नेवाला, प्रमुख योद्धा.
​अग्रलेख- सबसे पहले/प्रमुखता से छपा लेख, सम्पादकीय, लीडिंग आर्टिकल इ. ​ अग्रलोहिता-स्त्री. चिल्ली शाक.
अग्रवक्त्र-पु. चीर-फाड़ का एक औज़ार.
अग्रवर्ती/तिन-वि. आगे रहनेवाला.
अग्रशाला-स्त्री. ओसारा, सामने की परछी/बरामदा, फ्रंट वरांडा इं.
अग्रसंधानी-स्त्री. कर्मलेखा, यम की वह पोथी/पुस्तक जिसमें जीवों के कर्मों का लिखे जाते हैं.
अग्रसंध्या-स्त्री. प्रातःकाल/भोर.
अग्रसर-वि. पु. आगेजानेवाला, अग्रगामी, अगुआ, प्रमुख, स्त्री. अग्रसरी
अग्रसारण-पु. आगे बढ़ाना, अपनेसे उच्च अधिकारी की ओर भेजना, अग्रप्रेषण.
अग्रसारा-स्त्री. पौधे का फलरहित सिरा.
अग्रसारित-वि. देखें अग्रप्रेषित.
अग्रसूची-स्त्री. सुई की नोक, प्रारंभ में लगी सूची, अनुक्रमाणिका.
अग्रसोची-वि. समय से पहले/पूर्व सोचनेवाला, दूरदर्शी. अग्रसोची सदा सुखी मुहा.
अग्रस्थान-पहला/प्रथम स्थान.
अग्रहर-वि. प्रथम दीजानेवाली/देय वस्तु.
अग्रहस्त-पु. हाथ का अगला भाग, उँगली, हाथी की सूंड़ की नोक.
अग्रहायण-पु. अगहन माह,
अग्र​हार-पु. राजा/राज्य की प्र से ब्राम्हण/विद्वान को निर्वाहनार्थ मिलनेवाला भूमिदान, विप्रदान हेतु खेत की उपज से निकाला अन्न.
अग्रजाधिकार- पु. देखें ज्येष्ठाधिकार.
अग्रतः/तस- अ. सं. आगे, पहले, आगेसे.
अग्रवाल- पु. वैश्यों का एक वर्गजाति, अगरवाल.
अग्रश/अग्रशस/अग्रशः-अ. सं. आरम्भ से ही.
अग्रह- पु.संस्कृत ग्रहण न करना, गृहहीन, वानप्रस्थ.
अग्र ना होता जन्मना
अग् होना सौभाग्य की बात है. भाग्य जन्म से मिलता है किन्तु सौभाग्य मनुष्य कर्म से अर्जित करता है. इसलिए अग्र होना या ना होना मनुष्य के पुरुषार्थ, कर्मों और कर्मों के पीछे छिपी नियत तथा दिशा पर निर्भर करता है.
अग्र न होता जन्मना, बने कर्मणा अग्र
धीरज धर मत उग्र हों, और नहीं हों व्यग्र
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