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शनिवार, 20 नवंबर 2021

अठसल सवैया, दण्डक मुक्तक, महासंस्कारी छंद, पंक्ति छंद

छंद कार्य शाला
नव छंद - अठसल सवैया
पद सूत्र - ८ स + ल
पच्चीस वर्णिक / तैंतीस मात्रिक
पदभार - ११२-११२-११२-११२-११२-११२-११२-११२-१
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उदाहरण
हम शक्ति वरें / तब ही कर भक्ति / हमें मिलता / प्रभु से वरदान
चुप युक्ति करें / श्रम भी तब मुक्ति / मिले करना / प्रभु का नित ध्यान
गरिमा तब ही / मत हाथ पसार / नहीं जग से / करवा अपमान
विधि ही यश या / धन दे न बिसार / न लालच या /करना अभिमान
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कार्यशाला
दण्डक मुक्तक
छंद - दोहा, पदभार - ४८ मात्रा।
यति - १३-११-१३-११।
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सब कुछ दिखता है जहाँ, वहाँ कहाँ सौन्दर्य?,
थोडा तो हो आवरण, थोड़ी तो हो ओट
श्वेत-श्याम का समुच्चय ही जग का आधार,
सब कुछ काला देखता, जिसकी पिटती गोट
जोड़-जोड़ बरसों रहे, हलाकान जो लोग,
देख रहे रद्दी हुए पल में सारे नोट
धौंस न माने किसी की, करे लगे जो ठीक
बेच-खरीद न पा रहे, नहीं पा रहे पोट
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कार्य शाला छंद बहर दोउ एक हैं
संजीव 
महासंस्कारी जातीय मात्रिक छंद (प्रकार २५८४) 
पंक्ति जातीय वार्णिक छंद (प्रकार १०२४) 
गण सूत्र - र र य ग पदभार - २१२ २१२ १२२ २ 
दे भुला वायदा वही नेता दे भुला कायदा वही जेता 
जूझता जो रहा नहीं हारा है रहा जीतता सदा चेता 
नाव पानी बिना नहीं डूबी घाट नौका कभी नहीं खेता 
भाव बाजार ने नहीं बोला है चुकाता रहा खुदी क्रेता 
कौन है जो नहीं रहा यारों? क्या वही जो रहा सदा देता? 
छोड़ता जो नहीं वही पंडा जो चढ़ावा चढ़ा रहा लेता 
कोकिला ने दिए भुला अंडे काग ही तो रहा उन्हें सेता 
महासंस्कारी जातीय मात्रिक छंद (प्रकार २५८४) 
पंक्ति जातीय वार्णिक छंद (प्रकार १०२४) 
गण सूत्र - र र ज ल ग पदभार - २१२ २१२ १२१ १२ 
हाथ पे हाथ जो बढ़ा रखते प्यार के फूल भी हसीं खिलते 
जो पुकारो जरा कभी दिल से जान पे खेल के गले मिलते 
जो न देखा वही दिखा जलवा थामते तो न हौसले ढलते 
प्यार की आँच में तपे-सुलगे झूठ जो जानते; नहीं जलते 
दावते-हुस्न जो नहीं मिलती वस्ल के ख्वाब तो नहीं पलते 
जीव 'संजीव' हो नहीं सकता आँख से अश्क जो नहीं बहते 
नेह की नर्मदा बही जब भी मौन पाषाण भी कथा कहते 
टीप - फ़ारसी छंद शास्त्र के आधार पर उर्दू में कुछ बंदिशों के साथ गुरु को २ लघु या २ लघु को गुरु किया जाता है। वज़्न - २१२२ १२१२ २२/११२ अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन / फ़अलुन बह्र - बह्रे ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ मक़्तूअ क़ाफ़िया - ख़ूबसूरत (अत की बंदिश) रदीफ़ - है इस धुन पर गीत १. फिर छिड़ी रात बात फूलों की २. तेरे दर पे सनम चले आये ३. आप जिनके करीब होते हैं ४. बारहा दिल में इक सवाल आया ५. यूँ ही तुम मुझसे बात करती हो, ६. तुमको देखा तो ये ख़याल आया, ७. मेरी क़िस्मत में तू नहीं शायद ८. आज फिर जीने की तमन्ना है ९. ऐ मेरे दोस्त लौट के आजा। 
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