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शनिवार, 13 नवंबर 2021

सरस्वती वंदना मराठी, विनिता राहुरीकर

वंदे वीणावादिनी वाणी!
नमो नमो मां कंबुज पाणी!
गीत ग़ज़ल मुक्तक ची दाता!
शब्द भाव शुचि उक्ति प्रदाता !
मुक्त छंद कविता बन फूला!
चरणी चढ़वु हे सुख मूला!
ग्यान दायिनी रूप अतूला!
हो जननि मज वर अनुकूला!२
वागीशा वरदायिनी अंबा!
कमल नयनि! जय बाहू प्रलंबा!
श्वेत वसन धारिणी जगदंबा!
ग्यान दायिनी ! कृपा कदंबा!३
अमल विमल पूजित सुरवृंदा!
जय मृदुहासिनी आनन चंदा!
दुख भय हारिणि! आनंदकंदा।!
ललित !रम्य ! गति मत्तगयंदा!!४
रसन कमल राजिनी मन हंसा!
करत देव मुनि सदा प्रशंशा।
काटिनि क्लेष कुमति घन कंसा!
तिमिर गहन जाड्यापह ध्वंशा!५
ध्याऊँ मात तुला निशि वासर!
कर कृपा समझ जड़ किंकर!
कर स्नेह हे मात पुस्त-कर!
सदा दे हे अंब सुअक्षर।
मात शारदे सुंदर स्वर दे!
कल्पन सुंदर! मौन मुखर दे!
मम कल्पन घट होउ ना रीता
हेच मागती विनित विनीता!
दोहा
आई मि तनया मंद मति, तुझ चरित अपार।
शब्द सुमन चा हार माते, मझ कडून कर स्वीकार।।
©विनिता राहुरीकर

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