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गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

आयुर्वेद रस चिकित्सा


आयुर्वेद रस चिकित्सा है - षडरस चिकित्सा है

ये ६ रस हैं
रस ---------------प्रभाव
१) मधुर ------कफ बढ़ाता है
२) अम्ल -----कफ , पित्त बढ़ाता है
३) लवण ---- पित्त बढ़ाता है
४) कटु ------ पित्त बढ़ाता है
५) तिक्त ----- वात बढ़ती है
६) कषाय -----वात बढ़ती है
मधुर = मीठा ,
अम्ल = खट्टा,तेज जलन जैसे लहसुन ,
लवण = नमकीन ,
कटु = चरपरा ,
तिक्त = कडुवा ,
कषाय = कसैला ,फीका
६) कषाय इन छ में से कोई एक रस हमारे भीतर बढ़ा होता है और रोग मिटाना है तो उस रस को कम करना होता है। यदि मधुर रस से परेशानी हो रही है,कफ बढ़ रहा है , तो आपको सबसे निचे के रस को अपने भीतर बढ़ाना होगा। अर्थात कसैला रस लो तो मीठे रस का प्रभाव तेजी से कम होगा। मीठा अर्थात कफ। तो मधुर से परेशान हो तो उससे दूर के रस कटु - तिक्त - कषाय का प्रयोग बढ़ाओ आपको शीघ्र मुक्ति मिलेगी। ऐसी औषधि लो ऐसी सब्जी फल फूल लो कसैले प्रभाव के निकट के हों। अम्ल प्रभाव से मुक्ति चाहिए तो भी निचे के रस डालो - अर्थात कड़वा लो,कसैला लो
मधुर पदार्थ अम्ल कफ बढ़ाएंगे ,लवण कटु पित्त बढ़ाएंगे ,तिक्त कषाय वात बढ़ाएंगे
निचे वाले वात देंगे - अर्थात यदि वात से परेशान हो तो ऊपर का रस मधुर या अम्ल लो
तो इसको समझो - रस के स्वाद समझो और आवश्यकतानुसार उपचार करो
१ क्रम के रस से रोग है तो ४ या ५ या ६ क्रम के रस प्रयोग बढ़ाओ - यदि मधुर रस से रोग है और मधुर रस सेवन ही बढ़ा के रखा है तो रोग और कुपित होगा। मानलो आप मधुर रस का प्रभाव मिटाने को कषाय रस का सेवन बढ़ाते हो तो इससे मधुर का प्रभाव तो मिटेगा परन्तु कषाय रस वायु बढ़ाता है - वायु रोगी की यदि वायु बढ़ी तो उसका जीना दूभर हो जाएगा तब आप साथ में कुछ वायु कम करने वाली चीजें भी लो।
घर की सभी सब्जियों - फलों - आसपास के पेड़ों की पत्तियों को चख के रखो उनके रस के स्वाद को चख के रखो , मसालों के रस को समझो और आवश्यकतानुसार प्रयोग कर लो।
जैसे आप पित्त से परेशान हो रहे हो और पास में तिक्त रस वाला कडुवा नीम है तो फट से नीम की पत्ती तोड़ो और पित्त से तुरंत राहत पाओ
देखो हर चीज के नाम कितना चिंतन से रखे हैं - उनका गुण धर्म समझाते हुए
अजवायन = अज वायु न - वायु उतपन्न न होने दे -- अज वाय न
तो वायु परेशान करे तो अजवायन की सहायता लो - वायुकारक दाल सब्जी में अजवायन का छौंक दो
धनिया = दाह नहीं आ - दाहनीआ - धनिया - और सत्य है धनिया दाह - गर्मी को रोकता है - पित्त,गर्मी परेशान करे तो धनिया लो। यह त्रिदोष नाशक है। अर्थात सब्जी उष्ण प्रकृति की बन रही है तो अधिक धनिया डाल के उसे ठंडी प्रकृति की कर लो।
हल्दी = हल दाह आई = यह थोड़ी सी दाह देती है
लहसुन = लौ है सुन - अरे इसमें लौ है
जीरा = जरा - यह जरा ,जला देता है - अग्नि देता है
जैसे किसी को मधुमेह है तो मेंथीदाना लाभ देता है - भीगी मेंथी कसैली होती है और मधुमेह रोगी मीठे रस से परेशान है - तो मेंथी मीठे रस को कम करती है इससे रोगी को राहत मिलती है अंगों को कुछ माह राहत मिली रहे तो रोग नष्ट हो जाता है। तो आप अपना रोग देखो कि आप कौन से रस से परेशान हो ३ क्रम के रस से परेशान हो तो उससे दूर के रस १ या ६ का सेवन बढ़ाओ और तुरंत राहत पाओ। पर ध्यान रहे ६ प्रकार का रस १ क्रम के रस का घोर शत्रु है किन्तु इसका अधिक सेवन वायु बढ़ाएगा अब यदि आप वायु के भी रोगी हो तो कुछ वायु मिटाने वाली चीजें भी साथ में लेनी पड़ सकती हैं जैसे काली मिर्च ,हींग आदि। कुछ माह आप इसपे अच्छे से चिंतन कर लो आपको ८० % जीवन में दवाई नहीं लेनी पड़ेगी। आप घर की सब्जी मसाले फल दूध आदि से ही अपना उपचार कर लोगे
अब यह शनि को लो - शनि का प्रभाव "वात कारक" होता है - अतः वात कारक चीजें दान करने को कहा गया है - तेल शनि पर चढ़ाओ -- शनि पर तेल चढाने से शनि का प्रभाव कम नहीं होगा - आप ठंडे दिन शनिवार को ठंडा तेल न लो - दान करना अर्थात हम इसका सेवन नहीं कर सकते अतः आप ले जाओ - शनिवार ठंडा दिन माना गया है - ठंडे दिन को ठंडा सरसों का तेल खाया तो वायु बढ़ जायेगी अतः शनि पे चढ़ाओ अपनी जान बचाओ - आप मत चढ़ाओ शनि पर पर सेवन न करो। काली उड़द ठंडी होती है वात कारक होती है अतः उड़द न लो इसलिए शनि के नाम पर दान करने को कहा। आप दान न करो सेवन रोक दो यदि वायु से पीड़ित हो - वायुकारक शनि से पीड़ित हो तो। अब सबको गहराई से समझा नहीं सकते अतः दान से जोड़ा गया। दान देने से ग्रह प्रभाव कैसे हटेगा यह हर तर्कपूर्ण मानव को सोचना चाहिए। दान न करो उसका सेवन न करो अतः दान दिखाया गया। आपके लिए काली दाल तेल हानिकारक है यह जताने को इसे दान करने को कहा गया



शनि प्रभाव है और आपको वायु नहीं बनती तो आप तेल उड़द जी भरके खाओ ,कोई दान न करो 

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