मुक्तिका
हँस इबादत करो
मत अदावत करो
मत अदावत करो
मौन बैठें न हम
कुछ शरारत करो
कुछ शरारत करो
सो लिए हैं बहुत
जग बगावत करो
जग बगावत करो
फिर न फेरो नजर
मिल इनायत करो
मिल इनायत करो
आज शिकवे भुला
कल शिकायत करो
कल शिकायत करो
फेंक चलभाष हँस
खत किताबत करो
खत किताबत करो
मन को मंदिर कहो
दिल अदालत करो
दिल अदालत करो
मुझसे मत प्रेम की
तुम वकालत करो
तुम वकालत करो
बेहतरी का कदम
हर रवायत करो
हर रवायत करो
२५-४-२०१६
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