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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

दोहा सलिला
संजीव
*
सबसे बढ़िया दो जगह, हैं दुनिया में खास
दिल में करें निवास या, करें दुआ में वास
*
वक़्त बदलने में लगे, प्यारे उम्र तमाम
कौन कहे जीवन बदल, किस पल लगे विराम
*
स्याह कोठरी सियासत, घुसे लगेगा दाग
सत्ता पर हों भ्रष्ट यदि, भले दूर हों त्याग
*
मैंने मुश्किल में दिया, सदा सभी का साथ
मुश्किल में थामा नहीं, छाया ने भी हाथ
*
हँसी-रुदन बरखा सदृश, उत्तम एकाएक
प्यार-क्रोध के अश्व पर, संयम रखे विवेक
*
हो न सका यदि चाहकर, मत दो खुद को दोष
जो कर पाए यादकर, करो 'सलिल' संतोष
*
कभी जागकर बच सके, सोकर कभी बचाव
गिरे कभी तो रो दिए, गिर-उठ कभी निभाव
*
सोचो कुछ ऊँचा 'सलिल', नीचे हो गिरि श्रृंग
तूफां से टकरा बढ़ो, रंग न हो बदरंग
*
सोच-समझ ही हमेशा, सत्य न होती मान
सोच-समझ निस्वार्थ यदि, सत्य बढ़ाता मान
*
माँग एक से सौ बढ़ें, लेकर विविध सलाह
साथ न आता एक भी, अगर कठिन हो राह
*
उत्तम गुरु पथ दिखाते, पहले परख रुझान
बैसाखी बनते नहीं, रोकें नहीं उड़ान
*
चमत्कार की चाह में, भटकें नहीं हुजूर
भीतर-बाहर देख लें, अंतर रहें न सूर
*
हवामहल रचते नहीं, जुड़कर पत्ते-ताश
पैर धरा पर जमाकर, हाथ गहें आकाश
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नायक श्रेष्ठ न बोलता, क्या करना है काम
पहले करता आप वह, ले न और का नाम
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पल भर में जुड़ते नहीं, जन्मों के संबंध
चाह, धैर्य, कोशिश अथक, करे सुदृढ़ अनुबंध
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परहित हेतु न चाहिए, कोई कारण मीत
निज हित हेतु करें नहीं, प्रीत न गाएँ गीत
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१२-११-२०२०

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