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मंगलवार, 17 नवंबर 2020

हास्य मुक्तक

हास्य मुक्तक 
नम आँख देखकर हमारी आँख नम हुई
दिल से करी तारीफ मगर वह भी कम हुई
छत पर दिखी ज्यों फुलझड़ी, अनार मैं हुआ
कैसा गज़ब है एक ही पल में वो बम हुई
*
गृह लक्ष्मी से कहा 'आज है लछमी जी का राज 
मुँहमाँगा वरदान मिलेगा रोक न मुझको आज' 
घूर एकटक झट बोली वह-"भाव अगर है सच्चा  
देती हूँ वरदान रही खुश कर प्रणाम नित बच्चा"
*
हास्य कविता 
मेहरारू बोली 'ए जी! है आज पर्व दीवाली 
सोना हो जब, तभी मने धनतेरस वैभवशाली'
बात सुनी मादक खवाबों में तुरत गया मन डूब 
मैं बोला "री धन्नो! आ बाँहों में सोना खूब"  
वो लल्ला-लल्ली से बोली "सोना बापू संग  
जाती हूँ बाजार करो रे मस्ती चाहे जंग"
हुई नरक चौदस यारों ये चीखे, वो चिल्लाए 
भूख इसे, हाजत उसको कोई तो जान बचाए 
घंटों बाद दिखी घरवाली कई थैलों के संग 
खाली बटुआ फेंका मुझ पर, उतरा अपना रंग 
***  

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