कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

दोहा सलिला (नीति)

दोहा सलिला (नीति)
*
तन धन की रक्षा करें, जोश मानिए कोष  
मित्र आत्मविश्वास है, संबल है संतोष
*
करे प्रशंसा मूर्ख यदि, करें अनसुना रीत 
बुद्धिमान डाँटे अगर, करे भला ही मीत 
*
भाव नकारात्मक नहीं, तनिक सुहाए मित्र 
सदा सकारात्मक रहे, मानस पट पर चित्र 
*
जिसे जरूरत आइए, हरदम उसके काम 
चाहत का मत लगाएँ, मित्र कभी भी दाम 
*
जिसे भरोसा आप पर, छलें न उसको आप
याद आपको जो करे, रहें उसी में व्याप 
*
हर महिला को चाहिए, ऐसा साथी एक 
अश्रु पोंछ मुस्कान दे, कहे न तुम सा नेक 
*
पल भर में जो कहें दे, वह आजीवन घाव 
पल-पल करिए बात वह, जिसको सकें निबाह 
*
परिवर्तन में पीर है, देता दर्द विकास 
सत्संगति पाई नहीं, असहनीय संत्रास 
*
मत अपना बन या बना, अगर न सच्चा प्यार 
मत अंतर रख अगर हो, अंतर्मन में प्यार 
*
उषा देखकर मन करे, जिसको बरबस याद  
साँझ देख बेबस करे, मिलने की फरियाद 
*
आज न आए दुबारा, कर ले ऐसा काम 
नाम मिले पर मिल सके, कहीं न उसका दाम
*
आप चाहते यदि मुझे, मन में है अनुराग 
अगर न चाहें तो मुझे, रखता याद दिमाग  
*
खटखट करी न  द्वार पर, खड़े रहे यदि दूर 
सच न खुलेगा वह कभी, बजे न खुद संतूर 
*
जीवन बेहतर हो नहीं, बिन कोशिश बेनाम  
बदलावों से ही बने, बेहतर करिए काम 
*


कोई टिप्पणी नहीं: