कुल पेज दृश्य

शनिवार, 14 नवंबर 2020

बुंदेली गीत

बुंदेली गीत 

*
पुष्पाई है शुभ सुबह,
सूरज बिंदी संग
नीलाभित नभ सज रओ
भओ रतनारो रंग
*
झाँक मुँडेरे से गौरैया डोले
भोर भई बिद्या क्यों द्वार न खोले?
घिस ले दाँत गनेस, सुरसति मुँह धो
परबतिया कर स्नान, न नाहक उठ रो
बिसनू काय करे नाहक
लछमी खों तंग
*
हाँक रओ बैला खों भोला लै लठिया
संतोसी खों रुला रओ बैरी गठिया
किसना-रधिया छिप-छिप मिल रए नीम तले
बीना ऐंपन लिए बना रई हँस सतिया
मनमानी कर रए को रोके
सबई दबंग
***

कोई टिप्पणी नहीं: