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शनिवार, 14 नवंबर 2020

बाल दिवस पर

 बाल दिवस पर

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दाढ़ी-मूँछें बढ़ रहीं, बहुत बढ़ गए बाल।
क्यों न कटाते हो इन्हें, क्यों जाते हो टाल?
लालू लल्ला से कहें, होगा कभी बबाल।
कह आतंकी सुशासन, दे न जेल में डाल।।
लल्ला बोला समझिए, नई समय की चाल।
दाढ़ीवाले कर रहे, कुर्सी पकड़ धमाल।।
बाल बराबर भी नहीं, गली आपकी दाल।
बाल बाल बच रहा है, भगवा मचा बबाल।।
बाल न बाँका कर सकी, ३७० ढाल।
मूँड़ मुड़ा ओले पड़ें, तो होगा बदहाल।।
बाल सफेद न धूप में, होते लगते साल।
बाल झड़ें तो यूँ लगे, हुआ शीश कंगाल।।
सधवा लगती खोपड़ी, जब हों लंबे बाल।
हो विधवा श्रंगार बिन, बिना बाल टकसाल।।
चाल-चलन की बाल ही, देते रहे मिसाल।
बाल उगाने के लिए, लगता भारी माल।।
मौज उसी की जो बने, किसी नाक का बाल।
बाल मूँछ का मरोड़ें, दुश्मन हो बेहाल।।
तेल लगाने की कला, सिखलाते हैं बाल।
जॉनी वॉकर ने करी चंपी, हुआ निहाल।।
नागिन जैसी चाल हो, तो बल खाते बाल।
लट बन चूमें सुमुखि के, गोरे-गोरे गाल।।
दाढ़ी-मूँछ बढ़ाइए, तब सुधरेंगे हाल।
सब जग को भरमाइए, रखकर लंबे बाल।।
😆😆😆

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