छंद सलिला :
प्रेमा छंद
संजीव
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इस द्विपदीय, चार चरणीय छंद में प्रथम, द्वितीय तथा चतुर्थ चरण उपेन्द्र वज्रा (१२१ २२१ १२१ २२) तथा तृतीय चरण इंद्रा वज्रा (२२१ २२१ १२१ २२) छंद में होते हैं. ४४ वर्ण वृत्त के इस छंद में ६९ मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:
१. मिलो-जुलो तो हमको तुम्हारे, हसीन वादे-कसमें लुभायें
देखो नज़ारे चुप हो सितारों, हमें बहारें नगमे सुनायें
२. कहो कहानी कविता रुबाई, लिखो वही जो दिल से कहा हो
देना हमेशा प्रिय को सलाहें, सदा वही जो खुद भी सहा हो
३. खिला कचौड़ी चटनी मिठाई, मुझे दिला दे कुछ तो खिलौने
मेला लगा है चल घूम आयें, बना न बातें भरमा नहीं रे!
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शनिवार, 21 नवंबर 2020
प्रेमा छंद
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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