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सोमवार, 24 अगस्त 2020

दंडक ५६ मात्रिक

छंद सलिला
नवाविष्कृत दंडक ५६ मात्रिक
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विधान-
प्रति पद ५६ मात्रा।
यति- १४-१४-१४-१४।
पदांत-भगण।
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अवस्था का बहाना मत करें, जब जो बने करिए, समय के साथ भी चलिए, तभी होगा सफल जीवन।
गिरें, उठकर बढ़ें मंजिल मिले तब ही तनिक रुकिए, न चुकिए और मत भगिए, तभी फागुन बने सावन।
न सँकुचें लें मदद-दें भी, न कोई गैर है जग में, सभी अपने न सच तजिए, कहें सच मन न हो उन्मन-
विरागी हों या अनुरागी, करें श्रम नित्य तज आलस, न केवल मात्र जप करिए, स्वेद-सलिला करे पावन।।
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टीप-छंद लक्षणानुसार नाम सुझाएँ।
संजीव
२४-८-२०१९
७९९९५५९६१८

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