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रविवार, 23 अगस्त 2020

नया दण्डक छंद यगणादित्य घनाक्षरी

दोहा
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हो प्रशांत मन सिंधु सा, गिरि सा दृढ़ संकल्प.
स्वप्न सदा शुभ देखना, जिसका नहीं विकल्प.
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नया दण्डक छंद
यगणादित्य घनाक्षरी
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विधान- बारह यगण
संकेत-यगण = १२२, आदित्य = १२।
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कन्हैया! कन्हैया! पुकारें हमेशा, तुम्हें राधिका जी! गुहारें हमेशा, सदा गीत गाएँ तुम्हारे हमेशा।
नहीं कर्म भूलें, नहीं मर्म भूलें, लड़ें राक्षसों से नहीं धर्म भूलें, तुम्हीं को मनाएँ-बुलाएँ हमेशा।।
कहा था तुम्हीं ने 'उठो पार्थ प्यारे!, लड़ो कौरवों से नहीं हारना रे!, झुका या डरो ना बुराई से जूझो।
करो कर्म सारे, न सोचो मिले क्या?, मिला क्या?, गुमा क्या?, रहा क्या? हमेशा।।
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संजीव वर्मा 'सलिल'
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
२३-८-२०१९
७९९९५५९६१८

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