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रविवार, 30 अगस्त 2020

निमाड़ी दोहे

निमाड़ी सलिला
दोहे
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सिंदूरी सुभ भोर छे, चटक दुफेरी धूप।
संझा सरस सुहावणी,रात रूपहलो रूप।।
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खेती बाड़ी बावड़ी, अमरित पाणी सीच।
ठुमका प$ ओरावणी, नाच सयाणी मीच।।
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सूनी गोद भरावणी, संजा चारइ पूज
बरसूद् या खs लावणी, हिवड़ा कहीं न दूज
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दाणी मइया नरबदा, पाणी अमरित धार
माणी घऊँ जुआर दs, धाणी जीवन सार।।
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सांस-सांस मं$ हर घड़ी,अमर प्यार का बोल
परकम्मा कर पुन्न लइ, चल्या टोळ का टोळ।।
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