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रविवार, 30 अगस्त 2020

निमाड़ी पर्व

निमाड़ी पर्व के सहयोगियों को सस्नेह नमन
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सुषमा शारद की धवल, वीना-धुन माधुर्य
भारत बैठ सुरेश भी, सुनते सह गुरुवर्य
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पूनम कौतुक कर रही, रजनी करती खेल
रास ब्रजेश रचा रहे, शिशिर-शरद का मेल
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बुद्धि विनीता जब हुई, पूनम हुई अशोक
सफल तपस्या तब हुई, आशा सहे न रोक
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प्रीति पार्वती पवित्रा, शांता मंजु विभोर
गीत रचे गोविन्द ने, थामी लय-रस -डोर
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नभ सज्जित राकेश लख, दस दिश सौरभ आप्त    
वसुधा ने हेमंत को, पाया हर दिल व्याप्त   
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विश्व वाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
साहित्यिक संगोष्ठी  सहयोगियों को नमन
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बुद्धि निरुपमा कहे रख, मन मञ्जूषा बंद
बुद्धि विनीता ही कहे, रस-लय मय नव छंद
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हरिसहाय हो तब मिले, जीवन में आलोक
अपना सपना पूर्ण हो, कोई सके न रोक
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सरला सुषमा अपरिमित, मन में यदि संतोष
अनिल अनल भू नभ सलिल, रीते कभी न कोष
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नमन करे अखिलेश को, छा ऋतुराज बसंत
सृजन करें मिथलेश हो, साधें छंद अनंत
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संजीव
३०-८-२०२० 

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