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मंगलवार, 18 अगस्त 2020

मुकरी / कहमुकरी मीना भट्ट

मुकरी / कहमुकरी
मीना भट्ट
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पहली पंक्ति-16 मात्राएँ
दूसरी पंक्ति-16 मात्राएँ
तीसरी पंक्ति- 15/16/17मात्राएँ
चौथी पंक्ति-ए सखि साजन? न सखि -वो नाम जो पति या प्रेमी के सापेक्ष लिया गया है|
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सुंदर जैसा चाँद मोहता
रहना मेरे संग शोभता
गले लगाकर करलूँ प्यार
ऐ सखि साजन!न सखि हार।
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नित मेरे मन को बहलाये
सदा मधुर ही तान सुनाये,
होय मुग्ध सारा संसार,
क्या सखि साजन? नहीं सितार।
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प्रेम का रखता सबसे नाता,
मीत सभी को मेरा भाता,
मिलने की बढ़ती है तृष्णा,
ऐ सखि साजन!न सखी कृष्णा
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कभी हँसाता  कभी रु लाता,
नई  उमंग हृदय  में  लाता,
नहीं मानता कभी वो  हार ,
ऐ सखि साजन? नहिं सखि प्यार।
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