द्विपदियों में कल्पना 
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कल्पना की विरासत जिसको मिली
उस सरीखा धनी दूजा है नहीं
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कल्पना की अल्पना गृह-द्वार पर 
डाल देखो सुखों का हो सम्मिलन 
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कल्पना की तूलिका, रंग शब्द के 
भाव चित्रों में झलकती ज़िन्दगी 
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कल्पना उड़ चली फैला पंख जब 
सच कहूँ?, आकाश छोटा पड़ गया
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कल्पना कंकर को शंकर कर सके
चाह ले तो कर सके विपरीत भी 
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कल्पना से प्यार करना है अगर
आप अवसर को कभी मत चूकिए
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कल्पना की कल्पना कैसे करे?
प्रश्न का उत्तर न खोजे भी मिला 
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कल्पना सरिता बदलती रूप नित 
कभी मन्थर, चपल जल प्लावित कभी
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कल्पना साकार होकर भी विनत 
'सलिल' भट नागर यही है, मान लो 
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कल्पना की शरण जा कवि धन्य है 
गीत दोहे ग़ज़ल रचकर गा सका 
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कल्पना मेरी हक़ीक़त हो गयी 
नर्मदा अवगाह कर सुख पा लिया 
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कल्पना को बाँह में भर, चूमकर
कोशिशों ने मंज़िलें पायीं विहँस 
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कल्पना नाचीज़ है यह सत्य है 
चीज़ तो बेजान होती है 'सलिल'
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३१-८-२०१६
 
 
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