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गुरुवार, 20 अगस्त 2020

नवगीत

नवगीत 
*
खूँटे से बँध
हम विचार-पशु
लात चलाते
सींग मारते।
*
पगुराते हैं
डकराते हैं
बिना बात ही
टकराते हैं
संप्रभुओं प्रति
शीश झुकाते
सत्य कब्र में
रोज गाड़ते
*
पल-पल लिखते
नर अतीत हैं
लिखें गद्य, अड़
कहे गीत हैं
सत्य-ग्रंथ को
चीर-फाड़ते
*
२०-८-२०१९
ए १/२५ श्रीधाम एक्सप्रेस
७९९९५५९६१८

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