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शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

तकनीक: पॉलीमर इंजीनियरिंग

हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होनेवाले रबर टायर,  प्लास्टिक कंटेनर,  नायलॉन, रेक्सिन आदि सामग्री का निर्माण और उत्पादन बहुलकों (पॉलीमर्स) के बिना संभव नहीं है। बहुलक से पालीइथिलीन के विविध प्रकार, कम घनत्व, मध्यम घनत्व और उच्च घनत्व पॉलीथीन (एलडीपीई, एमपीडीई, एचपीडीई) का निर्माण किया जाता है। पॉलीमर पदार्थों की निरंतर बढ़ती माँग ने उद्योगों और रोजगार अवसरों की संभावना बढ़ाई है। पॉलीमर इंजीनियरिंग के द्वारा पॉलीमर यौगिक, पॉलीमर मिश्रित सामग्री, कार्बन ब्लैक,  कैल्शियम कार्बोनेट, टाइटेनियम ऑक्साइड, नैनो क्ले, ग्लास फाइबर,  ऑर्गेनिक फिलर्स,  नैनोफिलर्स,  प्रोसेसिंग एड्स, फ्लेम रिटार्डेंट्स आदि पदार्थों व रसायनों का निर्माण / उत्पादन संभव होता है।
पॉलीमर इंजीनियरिंग (बहुलक अभियांत्रिकी) रसायन शास्त्र संबंधी उच्च शोध में रुचि रखनेवाले युवाओं का भविष्य है।असीमित रोजगार अवसरों तथा शोध संभावनाओं से समृद्ध इस क्षेत्र में जेएपीएल, एनसीएल, सीपीआरआई,  एनएमएल आदि अनेक प्रयोग शालाएँ तथा डॉव, ड्यूपॉन्ट, एसएबीआईसी, क्लायंट आदि बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ  निरंतर अनुसंधानरत हैं। आईआईटी तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की में कई शोधकार्य चल रहे हैं।
महत्व
मानव निर्मित बहुलक सामान्यतः प्लास्टिक के रूप में पहचाने जाते हैं। इन्हें अनेक रूपाकारों में ढाला जा सकता है। पेट्रोलियम तेल से प्राप्त होनेवाले सिंथेटिक बहुलकों नायलॉन, पॉलीथीन,  पालिएस्टर, रेयान, टेफ्लॉन, एपॉक्सी आदि के उत्पादन में सम्मिलित होते हैं। आधुनिक पॉलीमर इंजीनियरिंग कच्चे पॉलीमर पदार्थों का उत्पादन करने के साथ-साथ नैनोटैक्नॉलॉजी व बायो मेडिकल तकनीक का भी विकास करती है। विविध प्रक्रियाओं से नए पॉलीमर पदार्थों, नए पदार्थों व तकनीकों का अनुसंधान किया जाता है। भौतिकी तथा रसायन शास्त्र के सहयोग से पॉलीमर इंजीनियरिंग श्रेष्ठ संचार कौशल, लागत ह्रास व उत्पादन वृद्धि  को संभव बनाती है।
क्या है पॉलीमर
जो अणु न्यूनतम दो अन्य अणुओं के साथ संयुक्त होने की सामर्थ्य रखते हैं, उन्हें सरल अणु (मोनोमर) कहा जाता है। दो या दो से अधिक सरल अणुओं का सम्मिलन होने से पॉलीमर बनाए जा सकते हैं। मोनोमर की कार्यक्षमता पॉलीमर की गुणवत्ता का निर्धारण करती है। सरल अणु द्वारा बनाई गई बांड संख्या बहुलक की रासायनिक संरचना निर्धारित करती है। एक सरल अणु दो अन्य सरल अणुओं के साथ मोनोबांड करे तो एक चैन जैसी संरचना बनती है। तीन या अधिक सरल अणुओं के साथ बांड हो तो त्रिआयामी क्रॉस लिंक्ड संरचना बनती है। अणुओं के जुड़ने की प्रक्रिया (बांडिंग) पॉलीमराइजेशन कहलाती है। इस प्रक्रिया में समान या भिन्न प्रकार के अणु इलैक्ट्रॉन के युग्म (जोड़े) को साझा करते हैं। बहुलक बहुत अधिक अणुवाला कार्बनिक यौगिक होता है। मोनोमर की स्वरूप बंधन (बांड) की संख्या के आधार पर एकल (मोनो), द्वि (डाइ), त्रि (ट्राइ), चतुष् (टैट्रा), पंचम (पैंटा), षष्ठम् (हैक्सा) या बहु (पॉली) होता है। असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को लाखों लघु अणुओं के जुड़ने से बहुलक का निर्माण होता है। पॉलीथीन एथिलीन, प्लास्टिक आदि के निर्माण में पॉलिस्टरीन स्टाइरीन, अंडे के कार्टन, गर्म खाद्य पात्र आदि के निर्माण में पॉलिविनाइल मोनोविनाइल क्लोराइड, पीवीसी पाइप, हैंड बैग क्लोराइड आदि में पॉलीटैट्रा-टैट्राफ्लारोएथिलीन, नॉनस्टिक बर्तन में फ्लूरो  एथिलीन या टेफ्लॉन नोवोलक फिनॉइल फार्मल्डिहाइड रेडियो कैबिनेट तथा कैमरों को आवरण, रोजिन निर्माण में पहली विनाइल,  विनाइल एसीटेट, लेटेक्स पेंट तथा एस्टेट आसंजक के निर्माण में पॉलीकार्बोनेट बुलेटप्रूफ जैकेट आदि को निर्माण में होता है। पॉलीमर को सामान्यत: निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाता है-
१. भौतिक-रासायनिक संरचना
२. पॉलीमर निर्माण विधि
३. भौतिक गुण
४. अनुप्रयोग
पॉलीमर को भौतिक गुणों के आधार पर निम्न अनुसार बाँट गया है-
१. थर्मोप्लास्टिक
२. थर्मोसेटिंग
३. इलास्टोमर
४. फाइबर / रेशे
***                                                    पॉलीमर इंजीनियरिंग- संभावनाएँ ही संभावनाएँ
वर्तमान में रासायनिक अभियांत्रिकी की एक शाखा के रूप में जाने जा रही  पॉलीमर अभियांत्रिकी बहुलक (पॉलीमर) पदार्थों को विविध प्रक्रियाओं द्वारा आवश्यक पदार्थों में परिवर्तित करने के साथ-साथ नए पदार्थों व प्रविधियों की खोज, बहुलक पदार्थों का रूपांकन संधारण व उत्पादन भी किया जाता है।

शिक्षा व रोजगार-
पॉलीमर विग्यान में स्नातक (बी.एससी.) के बाद
कैमिस्ट, इंडस्ट्रियल रिसर्च साइंटिस्ट, मैटीरियल टैक्नॉलॉजिस्ट,  क्वालिटी कंट्रोलर, प्रॉडक्शन ऑफिसर,  सेफ्टी हैल्प एंड एंवरॉन्मेंट स्पेशलिस्ट आदि पदों पर कार्य-अवसर मिल सकता है। फार्मास्यूटिकल,  कृषिरसायन (एग्रोकैमिकल), पैट्रोरसायन,  प्लास्टिक उत्पादन, रसायन उत्पादन, फुड प्रोसेसिंग, पेंट उत्पादन, वस्त्रोद्योग (टैक्सटाइल), फॉरेंसिक,  सिरेमिक्स आदि उद्योगों में पॉलीमर टैक्नॉलॉजिस्ट की माँग लगातार बढ़ रही है।
मेसाचुसेस्ट्स, टेक्सास, डेलावेयर, मिनियोस्टा, केयूलियूवन,  आक्रॉन जैसे विश्व विख्यात विश्वविद्यालयों में पॉलीमर इंजीनियरिंग में शोधोपाधि (पीएच.डी.) पाठ्यक्रम हैं।

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