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रविवार, 23 सितंबर 2018

संस्मरण

इतिहास बोलता है  
शशि पाधा
वर्ष १९६५ भारत – पाक युद्ध चल रहा था | मेरे पति उस समय अपनी यूनिट के साथ अमृतसर –लाहौर सीमा पर तैनात थे | २० दिन के घमासान युद्ध के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान का बहुत सा क्षेत्र जीत लिया था | इच्छोगिल नहर पर बसा हुआ बरकी गाँव लाहौर से लगभग १३-१४ किलोमीटर दूर था और युद्ध के समय भारतीय सेना वहाँ तक पहुँच गई थी | अब यह क्षेत्र और इसके आस पास के क्षेत्र भारतीय सेना के अधीन थे | युद्ध अपने पूरे वेग पर था | इस गाँव के निवासी अपनी सुरक्षा के लिए गाँव छोड़ कर किन्हीं सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए थे | किन्तु कुछ बूढ़े और असहाय निवासी अपना गाँव छोड़ कर नहीं जाना चाहते थे | २३ सितम्बर को युद्ध विराम की घोषणा भी हो गई थी | अब बरकी गाँव के बचे-खुचे निवासी भारतीय सेना के मेहमान थे | भारतीय सैनिक उनकी सेवा करते, दवा दारू देते और हर परिस्थिति में उनकी सहायता कर रहे थे | इस तस्वीर में बंद वृद्ध दम्पति किसी भी हालत में अपना गाँव छोड़ कर नहीं जाना चाहते थे | वृद्ध पुरुष का नाम था चिरागदीन | उनकी पत्नी काफी अस्वस्थ थीं और वो कहीं जाने में असमर्थ थीं | उन्हें शायद शान्ति की उम्मीद भी थी |
एक दिन मेरे पति इस दम्पति से बातचीत कर रहे थे कि उस वृद्ध पुरुष ने इन्हें बताया कि उसका जन्म पंजाब के जालन्धर जिले के किसी गाँव में हुआ था | उसे अपने जन्मस्थान की, अपने बचपन के घर की बहुत याद सताती रहती है | यह बात कहते हुए मेरे पति ने देखा कि उस वृद्ध की ऑंखें अश्रुपूर्ण थी | आते -आते इन्होने जब उससे पूछा कि क्या उन्हें किसी चीज़ की ज़रुरत है तो उसने हाथ जोड़ कर कहा,” साहब , आप मुझे एक बार मेरे गाँव में ले जाइए | मैं मरने से पहले अपना जन्म स्थान देखना चाहता हूँ |” उसकी इच्छा पूरी करने में कुछ कठिनाइयाँ तो थी किन्तु मेरे सहृदय पति ने एक दिन उसे एक फौजी जेकेट पहनाई, गाड़ी में बिठाया और ले गए उसे उसके गाँव | उस पाकिस्तानी वृद्ध की खुशियों का विवरण तो मैं शब्दों में नहीं दे सकती | आप केवल उसे महसूस कर सकते हैं | वापिस आकर जब मेरे पति ने उनसे विदा ली तो उसने दोनों हाथ आसमान की ओर उठा कर इन्हें दीर्घ आयु का आशीर्वाद दिया |

लगभग छह महीनों के बाद ताशकंद समझौते के बाद भारतीय सेना को यह क्षेत्र पाकिस्तान को वापिस लौटाना था | मेरे पति इस वृद्ध दम्पति से मिलने गए | उन्होंने इन्हें बड़े स्नेह से गले लगाया, तस्वीर लेने को कहा और साथ में भेंट किया एक मिटटी का कटोरा और कुरान शरीफ की एक प्रति | विदा के समय दोनों की आँखें नाम थीं |
अब आप ही बताएँ कि इस युद्ध मे किसकी हार –किसकी जीत ?????

शशि पाधा








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