मुक्तक:
हो रहा है आज खुद से खिन्न मन
दिख रहा है नित्य से क्यों भिन्न मन?
अजब ऊहापोह में है घिर गया -
ख़ुशी से खुश हो हुआ विच्छिन्न मन
*
हो रहा है आज खुद से खिन्न मन
दिख रहा है नित्य से क्यों भिन्न मन?
अजब ऊहापोह में है घिर गया -
ख़ुशी से खुश हो हुआ विच्छिन्न मन
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