नवगीत:
दीपमालिके!
दीप बाल के
बैठे हैं हम
आ भी जाओ
दीपमालिके!
दीप बाल के
बैठे हैं हम
आ भी जाओ
अब तक जो बीता सो बीता
कलश भरा कम, ज्यादा रीता
जिसने बोया निज श्रम निश-दिन
उसने पाया खट्टा-तीता
मिलकर श्रम की
करें आरती
साथ हमारे
तुम भी गाओ
राष्ट्र लक्ष्मी का वंदन कर
अर्पित निज सीकर चन्दन कर
इस धरती पर स्वर्ग उतारें
हर मरुथल को नंदन वन कर
विधि-हरि -हर हे!
नमन तुम्हें शत
सुख-संतोष
तनिक दे जाओ
अंदर-बाहर असुरवृत्ति जो
मचा रही आतंक मिटा दो
शक्ति-शारदे तम हरने को
रवि-शशि जैसा हमें बना दो
चित्र गुप्त जो
रहा अभी तक
झलक दिव्य हो
सदय दिखाओ
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6 टिप्पणियां:
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं इन पंक्तियों के साथ
आप सबको दिवाली की शुभकामना
आप जैसे सखा हों तो क्या मांगना
आप का ’स्नेह’’आशीष’मिलता रहे
रिद्धि सिद्धी करें पूर्ण मनोकामना
सबको दीपावली की सुखद रात हो
सुख की यश की भी सबको सौगात हो
आसमां से सितारे उतर आयेंगे
प्यार की जो अगर दिल में बरसात हो
सादर
जलाना एक दीपक तुम, अँधेरे गर नजर आयें
उजाला ही उजाला हो, जो सब इतना सा कर आयें
दीवाली का सही मतलब तो इसी में है मेरे हमदम
खुशियाँ हर तरफ बिखरें, खुशियाँ सबके घर आयें.
-दीपावली के पर्व पर आप और आपके परिवार के लिए मंगलकामनाएँ..
-समीर लाल ’समीर’, साधना लाल एवं समस्त लाल परिवार
Harish Bhimani
Your greetings added that special sparkle to the festive spirit.
Happy Diwali - and New Year 2071!
Harish
Regards.
Harish.
santosh kumar ksantosh_45@yahoo.co.in
ekavita
आ० सलिल जी
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई।
आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सन्तोष कुमार सिंह
Roop Singh Chandel
संजीव जी,
बहुत सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई.
दीपोत्सव के लिए आप और आपके परिवार को भी अशेष हार्दिक शुभकामनाएं.
रूपसिंह चन्देल
Pankaj Trivedi :
प्रिय मित्र,
दीपावली और नूतन वर्ष की आपको अनेकानेक शुभकामना |
आप सदा स्वस्थ एवं संपन्न रहें यही ईश्वर से प्रार्थना |
पंकज त्रिवेदी
संपादक - विश्वगाथा (त्रैमासिक हिन्दी साहित्यिक-शैक्षिक पत्रिका)
vishwagatha@gmail.com
(M) 09662514007
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