हाइकु सलिला :
बाल गीत
सूरज बब्बा
टेर रहे हैं
अँखियाँ खोलो
उषा लाई है
सुबह सुनहरी
बिस्तर छोड़ो
गौरैया बैठी
मुंडेर पर चहक
फुदककर
आलस छोडो
गरम दूध पी लो
मंजन कर
खूब नहाना
बदन पोंछकर
पूजा करना
करो नाश्ता
पढ़कर पुस्तक
सीखो लिखना
कपड़े साफ़
पहन कर शाला
जाते बच्चे
शाबाशी पाते
तब ही कहलाते
सबसे अच्छे
*****
बाल गीत
सूरज बब्बा
टेर रहे हैं
अँखियाँ खोलो
उषा लाई है
सुबह सुनहरी
बिस्तर छोड़ो
गौरैया बैठी
मुंडेर पर चहक
फुदककर
आलस छोडो
गरम दूध पी लो
मंजन कर
खूब नहाना
बदन पोंछकर
पूजा करना
करो नाश्ता
पढ़कर पुस्तक
सीखो लिखना
कपड़े साफ़
पहन कर शाला
जाते बच्चे
शाबाशी पाते
तब ही कहलाते
सबसे अच्छे
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